रायपुर : सुपोषण योजना से खिलेश का बढ़ गया वजन और संवर गया बचपन
रायपुर : सुपोषण योजना से खिलेश का बढ़ गया वजन और संवर गया बचपन
डिजिटल डेस्क रायपुर | रायपुर 6 जुलाई 2020 मेरी दो बेटियां तमन्ना बघेल 12 वर्ष और शिक्षा बघेल 8 वर्ष है।मेरी दोनों बेटियों की कई सहेलियां है। उनकी सहेलियों के अपने भाई है। मेरी दोनों बेटियां अक्सर कहती थीं कि मां हमारी सभी सहेलियों के भाई हैं जिनके साथ वे खेलती हैं, लेकिन हमारा भाई क्यों नहीं है? मैं बेटियों की इस मासूमियत भरी सवाल से मुस्कुरा उठती थी, क्योंकि मेरा मानना था कि बेटे हो या बेटी,मेरे लिए तो दोनों बराबर है। और वैसे भी तो मेरी तो दो -दो बेटियां हैं, जिनकी किलकारियों से मेरा घर-आंगन गूँजता रहता है। मेरे पति भी लगभग यही सोचते थे। लेकिन संयोग से ईश्वर ने मेरी बेटियों की इच्छा पूरी कर दी और हमारे घर 16 अक्टूबर 2018 को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तब बेटियों के खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था।हमने बेटे का नाम खिलेश रखा। महज कुछ दिन ही गुजरे थे। खिलेश को बचपन में ही निमोनिया हो गया। डॉक्टर के पास गए तब मालूम हुआ कि बेटा बहुत कमजोर है और उसकी सेहत को बेहतर बनाने के लिए मां का दूध नियमित पिलाना होगा। साथ ही मां को भी पौष्टिक आहार लेना होगा। बेटा के शरीरिक कमजोरी से मैं तो उदास सी रहने लगी थीं, बेटियां भी मायूस थी। इसी दौरान मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के बारे में पता चला। मैं और पति आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचे। यहाँ खिलेश का वजन लिया गया। लगभग 4 किलो वजन आने के बाद मुझे रेडी टू ईट का पैकेट दिया गया और बताया गया कि आपका बच्चा लाल श्रेणी में है। नियमित रूप से मां का दूध पिलाने और रेडी टू ईट, पोषण आहार खाने सबकुछ ठीक हो जाएगा। मैंने वैसा ही किया जैसा मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया था। आखिरकार कुछ माह बाद खिलेश पूरी तरह स्वस्थ हो गया। उसकी सेहत सुधर गई। वजन 8 किलो के आसपास हो गया है। बेटियों के साथ भी खेल पाता है। और मेरी बेटियों को भाई की कमी महसूस नहीं होती। यह कहना है खिलेश की माँ श्रीमती किरण बघेल का। इमामबाड़ा की रहने वाली श्रीमती किरण बघेल ने बताया कि उसका पति किशन बघेल मजदूरी करते हैं। इसी से घर का खर्च चलता है। किरण ने बताया कि निमोनिया का शिकार होने के बाद सबसे छोटा बेटा खिलेश की शारीरिक कमजोरी हमारे परिवार में चिंता की प्रमुख वजह बन गई थी। फरवरी 2019 में वजन त्यौहार के दिन जब मैं अपने बच्चे को आंगनबाड़ी केन्द्र लेकर गई थी तब उसका वजन 4 किलो 410 ग्राम था। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने मुझे बताया कि आपका बच्चा लाल श्रेणी में है इसलिए आपको उसकी सेहत को लेकर बहुत ध्यान देने की जरूरत है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की बात मानकर मैं लगातार मितानिन और उनके सम्पर्क में थी। मुझे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा ही मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के बारे में बताया गया। खिलेश की सेहत कैसे सुधर सकती है? और कैसे उसका वजन बढ़ सकता है? यह सब भी बताया गया। मैं उनकी बातों को मानती रही और एक दिन आंगनबाड़ी केन्द्र इमामबाड़ा में जिले के कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में जब खिलेश का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तो उसका वजन तो बढ़ा ही था साथ ही सेहत भी काफी सुधर गई थी। प्रतिदिन रेडी टू ईट खाने और बच्चे को अण्डा, केला खिलाने और दूध पिलाने से उसका का वजन अब लगभग 8 किलो है। वह रेड यानी गंभीर कुपोषित की श्रेणी से बाहर आकर ग्रीन यानी स्वस्थ और सुपोषित श्रेणी में आ गया है। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से अब खिलेश का बचपन भी संवर गया है और वजन भी बढ़ गया है। इससे हमारा परिवार बहुत खुश है। मेरी दोनों बिटियाँ भी खिलेश के साथ खेल पाती हैं। क्रमांक/07-26/विष्णु