रायगढ़ : अपने प्रयासों से छर्राटांगर की तस्वीर बदल रहे ग्रामीण, कृषि विस्तार अधिकारी का सराहनीय पहल
रायगढ़ : अपने प्रयासों से छर्राटांगर की तस्वीर बदल रहे ग्रामीण, कृषि विस्तार अधिकारी का सराहनीय पहल
डिजिटल डेस्क, रायगढ़। 8 अक्टूबर 2020 छोटे छोटे कदमों के सहारे बड़ी मंजिल को पाना मुमकिन है इस सोच के साथ यदि कोई काम करे तो उसे जो हासिल होता है वो दूसरों के लिए मिसाल बन जाता है। घरघोड़ा विकासखंड के लगभग 2000 की आबादी वाले छर्राटांगर में कृषि विभाग के आरएईओ शिवचरण दिवाकर ने कुछ ऐसा ही काम कर दिखाया है। वे किसानों को जागरूक कर खेती के नवीन तकनीकों का इस्तेमाल तो सिखा ही रहे हैं, गांव की परिस्थिति को समझ कर कृषि कार्य से जुड़ी स्थानीय समस्याओं का समाधान भी निकाल रहे हैं. जिससे स्थानीय किसान खासकर छोटे किसानों को विशेष लाभ हुआ है। फसल की उपज बढ़ाने के साथ पर्यावरण को सहेजने गाँव में बनवायी बायो गैस शिवचरण बताते हैं कि गांव में पशुओं की खुले में चराई होने से फसलों की बड़ा नुकसान पहुँचता था और उम्मीद के अनुसार उपज नहीं मिलती थी इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने एक तरकीब निकाली और गाँव में बायो गैस बनवाए। बायोगैस इसलिए कि खुले में चराई रोकनी थी तो गांव वालों को पशुओं को घर में रखने को राजी करना था और उसके लिए चारे के रूप में पैरा का इंतजाम तो धान की मिसाई के बाद हो गया। पशुओं के गोबर का भी घर में सदुपयोग करवाना था तो सोचा बायोगैस बनवाया जाए इसके लिए गांव की महिलाओं को राजी किया और उनकी हिचक दूर करने के लिए कहा कि अगर बायो गैस सफल नहीं होता है तो खर्चे की भरपाई वो कर देंगे। इस प्रकार 10 लोगों ने 2 घन मीटर का बायोगैस बनवाया। इस कदम से न केवल फसल की उपज बढ़ी बल्कि किसान जो खेतों में पैरा जलाते थे जिससे प्रदूषण होता था वह भी कम हुआ। गृहणियों को घर पर ही सस्ता और नवीनीकृत ईंधन का स्त्रोत मिला और बायोगैस से निकले गोबर के स्लरी से जैविक खेती को बढ़ावा देने में मदद मिली। शिवचरण ने अपने क्वार्टर के पीछे स्कूली बच्चों के लिए एक मॉडल बायोगैस भी बनवाया हुआ है। युवाओं का भविष्य गढऩे का कर रहे प्रयास शिवचरण ने गावों के युवाओं का समूह गठित कर उन्हें नेहरु युवा केंद्र संगठन से जोड़ा, जिससे गांव के युवा व्यक्तित्व विकास के पाठ के साथ नेतृत्व के गुण सीख सके। इससे न केवल युवाओं को एक अच्छा भविष्य तैयार करने में सहायता मिली बल्कि अपनी सामजिक जिम्मेदारी की समझ भी विकसित हुयी। युवाओं ने रोजगार मूलक गतिविधियों के साथ सामाजिक हितों के कार्यो में हिस्सा लेने लगे। उन्होंने गाँव में किसानों को संगठित कर एक समूह बनाया है और जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे है। इसके साथ ही विभागीय योजनाओं के प्रति लोगों में जागरूकता लाना और उससे किसानों को लाभान्वित करने की दिशा में वो लगातार काम कर रहे हैं। किसानों के खेतों तक बिजली पहुँचवाने के लिए किसानों को सब्सिडी दिलवाकर ट्रांसफार्मर लगवाना या खेतों में ट्यूबवेल लगवाना हो, अच्छी उपज के लिए फसल सुधार, मृदा उपचार जैसे काम कर ग्रामवासियों को विकास के नए आयाम तय करने की ओर आगे बढ़ा रहे है।