अब शासकीय चिकित्सक अपने आवास में मरीजों का नहीं कर सकेंगे उपचार
अब शासकीय चिकित्सक अपने आवास में मरीजों का नहीं कर सकेंगे उपचार
निजी प्रेक्टिस पर एक माह के लिये लगाया गया प्रतिबंध
डिजिटल डेस्क,सीधी। शासकीय चिकित्सक अब अपने आवास में मरीजों का उपचार नहीं कर सकेंगे। कोरोना से कई चिकित्सको और स्टाफ के संक्रमित होने के बाद एक महीने के लिए सीएमएचओ ने प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही शासकीय अस्पताल में ही मरीजों की जांच और परामर्श देने निर्देशित किया गया है।
ज्ञात हो कि जिले में कोरोना का संक्रमण पिछले अगस्त माह से तेज रफ्तार पकड़ लिया है। बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण अब तक में कई चिकित्सक, स्टाफ चपेट में आ चुके हैं। दूसरी तरफ शासकीय चिकित्सालयों में पदस्थ चिकित्सक अस्पताल में मरीजों का उपचार करने के वजाय निज निवास में संचालित क्लीनिक में व्यस्त देखे जा रहे हैं। ऐसे में अस्पताल पहुंचने वाले मरीज चिकित्सको की खोज में भटकते देखे जाते हैं। इसीलिए सीएमएचओ ने आदेश जारी कर महीने भर के लिए निजी प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीधी द्वारा आदेश जारी कर जिलान्तर्गत क्षेत्र की समस्त शासकीय अस्पतालों में पदस्थ समस्त विशेषज्ञ/चिकित्सा अधिकारी/आयुष चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि अपने अपने कर्तव्यस्थल पर उपस्थित रहकर कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुये चिकित्सालय में उपचार हेतु आने वाले रोगियों की जांच व परामर्श देना सुनिश्चित करें। शासकीय चिकित्सकों को निज निवास में निजी प्रेक्टिस पर आगामी एक माह तक के लिये प्रतिबंधित किया गया है। (आपातकालीन स्थिति को छोड़कर)। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी नियंत्रण व उपचार को दृष्टिगत रखते हुये यह आवश्यक है कि जिलान्तर्गत शासकीय अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों द्वारा कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुये रोगियों की जांच व परामर्श दिया जाना सुनिश्चित करें। गत माह की तुलना में चालू माह में कोविड-19 संक्रमित रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है साथ ही कई चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ भी प्रभावित हुये हैं। जारी आदेशानुसार निजी प्रेक्टिस करते पाये जाने, निज निवास में रोगियों की भीड़ इक_ा किया जाना जाये जाने की स्थिति में संबंधित चिकित्सक के विरूद्ध कड़ी दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी। उन्होंने उक्त आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
अस्पताल की ड्यूटी काम चलाऊ
जिला चिकित्सालय हो या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र यहां पदस्थ चिकित्सक केवल औपचारिकता पूरी करने पहुंचते हैं। दूर से आने वाले मरीज घण्टो इंतजार करते रहते हैं किन्तु चिकित्सक का रता-पता नहीं लगता है। जानकारी लेने पर कभी वार्ड में राउण्ड लेने की बात कही जाती है तो कभी अस्पताल न आने की जानकारी मिलती है। इसीलिए घण्टो इंतजार के बाद अंतत: मरीजों के परिजनों को चिकित्सक के आवास पर जाकर सम्पर्क करना पड़ता है। आवास में उपचार के दौरान फीस तो देनी ही पड़ती है साथ ही शासकीय आवास में संचालित जांच सुविधा का भी सशुल्क उपयोग करना पड़ता है। कई डाक्टर तो अपने घर में मेडिकल स्टोर भी संचालित कर रखे हैं। इसीलिए शासकीय चिकित्सक की अपने आवास में ही दिनभर व्यस्तता बनी रहती है। शासन ने भले ही शासकीय खर्चे पर उपचार की सुविधा दे रखी हो किन्तु मरीजों को चिकित्सको के अभाव में निजी व्यय पर ही चिकित्सा लाभ लेना पड़ता है। कोविड-19 के बढ़ते प्रभाव के बाद भी शासकीय चिकित्सक निजी प्रेक्टिस को नहीं छोड़ पा रहे हैं।