श्वास नली में मां का दूध फस से नवजात की मौत
माँ का दूध ही बन गया काल श्वास नली में मां का दूध फस से नवजात की मौत
डिजिटल डेस्क डिंडोरी। थाना करंजिया थाना अंतर्गत मेढ़ाखार में एक दुधमुंहे बच्चे की मौत का मामला सामने आया है। जिसमें नवजात की मां ने कोविड़ १९ का टीका लगवाने के बाद रात में स्तनपान कराते ही नवजात की मौत हो जाने का आरोप लगा इसकी शिकायत करंजिया थाने में की। जिसकी शिकायत पर पुलिस ने मामले में मर्ग कायम करते बुधवार को जब नवजात का पीएम करवाया तो प्रथम दृष्टया डॉक्टरों ने पाया कि नवजात के श्ंवासनली में मां का दूध फंसने से नवजात की सांस रूक गई और उसकी मौत हो गई है। इधर नवजात की मौत के बाद परिवार में मातम छा गयाए क्योंकि घर में थोड़े दिन पहले ही किलकारी गूंजी थी, लेकिन इस घटना के बाद मां व परिवार की खुशियां विलाप में बदल गई।
यह है पूरी घटना
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार मां क्रंति कुमारी पति कृष्ण कुमार मसराम ने शिकायत दर्ज कराई है कि उसको टीका लगवाने के लिए दबाब बनाया गया। जिसके बाद उसने आंगनबाड़ी सहायिका के कहने पर मंगलवार को कोविड १९ का पहला टीका कोविडशील्ड लगवाया। जिसके बाद वह अपने घर आ गई। रात में करीब १२ बजे क्रांति का ढेड माह का बेटा जब रोने लगा तो उसने अपने बेटे को स्तनपान कराया। इसके बाद करीब तीन बजे उसके बेटे की मौत हो गई। घटना के बाद पीडि़त मां अपने ढेड माह के नवजात बेटे का शव लेकर करंजिया थाने पहुंची जहां रो-रो कर पुलिस को इस घटना की जानकारी दी। मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराते हुए नवजात का पीएम करवाया। जहां पीएम करने वाले डॉक्टर सुरेश मरावी सहित स्वास्थ्य प्रबंधन से डीपीएम विक्रम सिंह का कहना है कि पीएम में नवजात की मौत के मामले में सामने आया है कि मां ने रात में जब नवजात को दूध पिलाया तो उसकी पीथ थपथपा कर डकार नहीं दिलवाई। जिसके चलते बेटे के श्वांसनली में दूध फंस जाने से उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों के अनुसार नवजात ने विड पाइप सांस नली में दूध चले जाने के चलते नवजात की मौत हो गई।
क्या कह रहे विशेषज्ञ
बच्चों के डॉक्टर सुनील जैन ने बताया कि कई बार दूध बच्चे की फूड पाइप की बजाय विड पाइप में चला जाता है, जिसे मेडिकल भाषा में ट्रेकिया कहते हैं। विड पाइप से दूध फेफड़ो में चला जाता है, जिससे बच्चे की सांस रुक जाती है। इसलिए बच्चे को लिटाकर दूध पिलाने से परहेज करना चाहिए। डिलीवरी के बाद मां को ब्रेस्ट फीडिग संबंधी डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए, ताकि फीडिग संबंधी सही तरीके बारे जाना जा सके। इसके अलावा सरकारी अस्पताल में डिलीवरी समय यह जानकारी महिलाओं को मुहैया करवाई भी जाती है।