अनदेखी-जिस रेत खदान से सरकार को 50 लाख से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ, वहां जांच टीम को रेत के अवैध खनन के निशान नहीं मिले
रॉयल्टी व टैक्स के रूप में मिलने वाली मोटी राशि की चोरी
डिजिटल डेस्क डिंडोरी। सीटीओ के फेर में उलझी 5 हेकटेयर क्षेत्रफल वाली कमकोमोहनिया खदान से अवैध रूप से प्रतिदिन करीब 50 डंपर रेत का खनन व परिवहन कर ठेका कंपनी (एमडीओ) द्वारा अब तक 50 लाख रुपए से अधिक के राजस्व का झटका सरकार को दिया जा चुका है। आश्चर्य यह कि जिस रेत खदान से इतना तगड़ा नुकसान सरकार को हुआ हो वहां जिला खनिज अधिकारी के नेतृत्व में जांच टीम को निरीक्षण के दौरान रेत के अवैध खनन के निशान नहीं मिले। इसी रेत खदान के जो तस्वीरें व वीडियों प्राप्त हुए हैं वह यह बताते हैं कि कमकोमाहनिया में रेत ठेका कंपनी द्वारा नियम ताक पर रख, बुडनेर नदी के तट पर ही नहीं बल्कि नदी के अंदर तक जा कर मशीनों के जरिए खनन किया गया है। मामला सीधे-सीधे ठेका शर्तों सहित पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन सहित रॉयल्टी व टैक्स के रूप में मिलने वाली मोटी राशि की चोरी का भी है लेकिन जिम्मेदार अनदेखी कर रहे हैं।
ऐसे समझें सरकार को हुए नुकसान का गणित
शिकायतकर्ताओं सहित कमकोमोहनिया के रहवासियों के अनुसार हर दिन करीब 50 डंपर रेत निकाली गई। यह सिलसिला जनवरी महीने के अंतिम दिनों से लेकर फरवरी मध्य तक जब तक कि मामला सामने नहीं आया चला। यानि करीब 20 दिन यानि करीब हजार डंपर रेत का अवैध रूप से खनन व परिवहन हुआ। एक डंपर में औसतन 16 घनमीटर रेत आती है। यानि करीब 16 हजार घनमीटर रेत निकाली गई। जैसा जिला खनिज अधिकारी शशांक शुक्ला ने भी स्वीकारा कि कमकोमाहनिया रेत खदान की रायल्टी पर्ची जनरेट नहीं हो रही है। लिहाजा इस 16 हजार घनमीटर रेत की 251.72 रुपए प्रतिघनमीटर के मान से 40 लाख 27 हजार 520 रुपए रायल्टी के ठेका कंपनी (एमडीओ) ने जमा नहीं किए। ठेका कंपनी को खनन की गई रेत पर 18 प्रतिशत जीएसटी, 2 प्रतिशत टीडीएस तो जमा करना ही होता है, 10 प्रतिशत राशि डीएमएफ (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड) में भी जमा करना होते हैं। यह राशि 12 लाख रुपए के ऊपर की होती है। इसकी चोरी भी माइनिंग कॉर्पोरेशन द्वारा चयनित एमडीओ ने की है।