उदयपुर में मिली नई प्रजाति की बैबलर चिड़िया पफ थ्रोटेड बैबलर की राजस्थान में पहली उपस्थिति दर्ज

उदयपुर में मिली नई प्रजाति की बैबलर चिड़िया पफ थ्रोटेड बैबलर की राजस्थान में पहली उपस्थिति दर्ज

Bhaskar Hindi
Update: 2020-11-28 09:34 GMT
उदयपुर में मिली नई प्रजाति की बैबलर चिड़िया पफ थ्रोटेड बैबलर की राजस्थान में पहली उपस्थिति दर्ज

डिजिटल डेस्क, उदयपुर। में मिली नई प्रजाति की बैबलर चिड़िया पफ थ्रोटेड बैबलर की राजस्थान में पहली उपस्थिति दर्ज। एक नई प्रजाति की बैबलर चिड़िया की खोज के रूप में राजस्थान की समृद्ध जैव विविधता में हाल ही में एक नया नाम और जुड़ गया है और इसका श्रेय उदयपुर को जाता है। खोजा गया यह एक छोटा रेजीडेंट पक्षी पफ थ्रोटेड बैबलर है, जिसका वैज्ञानिक नाम पेलोर्नियस रूफीसेप्स है। उदयपुर जिले में स्थित फुलवारी की नाल वन्यजीव अभयारण्य के गामड़ा की नाल में यह नई प्रजाति की चिड़िया मिली है। इसकी राजस्थान के ख्यातनाम पर्यावरण वैज्ञानिक और टाइगर वॉच के फील्ड बॉयोलोजिस्ट डॉ. धर्मेन्द्र खण्डाल, दक्षिण राजस्थान में जैव विविधता संरक्षण के लिए कार्य कर रहे पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा व हरकीरत सिंह संघा ने लगाया है। इस नई उपलब्धि पर ‘इंडियन बर्ड्स‘ के अंक 16 के भाग 5 में विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। ऎसा होता है यह पक्षी उदयपुर के पक्षी विज्ञानी डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि यह एक वेबलर वर्ग का सदस्य है। जिसकी चोंच एवं पैर ललाई लिए हुए हल्के गुलाबी होते हैं। सिर का रंग हल्का चॉकलेटी तथा पीठ का रंग हल्का काला, गला एकदम सफेद तथा छाती पर टूटती गहरी धारियां होती है। आंख के ऊपर सफेद रंग की धारी काली लंबी होकर पीेछे गर्दन तक फैली रहती है। यह जोड़े या छोटे दलों में रहकर जंगल में नीचे गिरी पड़ी पत्तियों के झुरमुट में भूमि पर पड़े कीडे-मकौड़े खाती है। इस प्रकार की प्रजाति गुजरात के विजयनगर स्थित पोलो फोरेस्ट में मिली है। यह बैबलर प्रजाति भारत के सतपुड़ा बिहार एवं उड़ीसा के पठारी क्षेत्र, पूर्वी एवं पश्चिमी घाट के क्षेत्र, राजमहल पहाडिया (मध्य पश्चिमी बिहार), केरल के पलक्कड (पालघाट) क्षेत्र, चितेरी पहाड़िया आदि क्षेत्रों में पाई जाती है। राज्य में पहली और नई खोज के लिए स्थानीय पक्षी प्रेमियों ने हर्ष व्यक्त किया है

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