उज्जैन: लॉकडाउन में रिश्तेदारों से राशन उधार लेना पड़ता था मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के आने से लौटा आत्मसम्मान "खुशियों की दास्तां"
उज्जैन: लॉकडाउन में रिश्तेदारों से राशन उधार लेना पड़ता था मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के आने से लौटा आत्मसम्मान "खुशियों की दास्तां"
डिजिटल डेस्क, उज्जैन। उज्जैन गांव पिपलौदा द्वारकाधीश निवासी 25 वर्षीय अर्जुनसिंह राणा पेशे से वाहन चालक हैं। उनके परिवार में उन्हें मिलाकर पांच लोग रहते हैं। पिता का स्वास्थ्य अक्सर खराब रहने के कारण घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी अर्जुन के कंधों पर थी। अपने पेशे की वजह से कई दिनों तक अर्जुन अपने परिवारवालों से दूर रहते थे। अर्जुन को यह पेशा अपनाये मात्र कुछ महीने ही हुए थे कि कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन के चलते जब गाड़ियों के पहिये थम गये तो उन्हें मजबूरन घर बैठना पड़ा। कुछ दिनों तक अर्जुन के पास जो भी रुपये जमा थे, उनसे उन्होंने जैसे-तैसे घर चलाया लेकिन एक समय के बाद अर्जुन को अपने रिश्तेदारों व पड़ौसियों से घर का राशन उधार लेना पड़ रहा था। आत्मसम्मान वाले अर्जुन को यह बिलकुल भी गवारा नहीं था। वे स्वयं तो फिर भी जैसे-तैसे अपना गुजारा कर लेते, लेकिन परिवार का पेट पालने के लिये उन्हें उधार लेना पड़ा। लेकिन ऐसे भी कितने दिनों तक चलता, इस वजह से अर्जुन कोई न कोई रास्ता ढूंढने में लग गये। किस्मत से उन्हें मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के बारे में पता चला। अर्जुन ने बिना देर किये योजना के तहत आवेदन दिया और उन्हें कुछ समय पश्चात पात्रता पर्ची और राशन कार्ड उपलब्ध करा दिया गया। इस योजना के तहत अब अर्जुन के परिवार के प्रति सदस्य को पांच-पांच किलो गेहूं व चावल मिलने लगा है। मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना की वजह से अर्जुन का खोया हुआ आत्मसम्मान वापस लौटा है। इसके लिये वे सदैव मुख्यमंत्री के आभारी रहेंगे।