किसान महापंचायत: कृषि कानून की आत्मा ही काली: टिकैत
किसान महापंचायत: कृषि कानून की आत्मा ही काली: टिकैत
डिजिटल डेस्क सिहोरा। "कोरोना काल में जब सभी घरों में कैद थे, तब निजी कंपनियों के इशारे पर कृषि कानून तैयार किए गए और सरकार इसे लेकर आई। इसलिए ये कानून ही नहीं बल्कि इनकी आत्मा ही काली है।Ó उक्ताशय के उद्गार भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को सिहोरा स्थित कृषि उपज मंडी में आयोजित किसान महापंचायत के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा, दिल्ली में 100 दिन से आंदोलन चल रहा है, इसके बाद भी सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है। क्योंकि यह सरकार विचारधारा की नहीं बल्कि उद्योगपतियों की है। किसी विचारधारा को बंदूक की नोक से नहीं रोका जा सकता।
श्री टिकैत ने कहा, उद्योगपतियों के इशारे पर रेल बेची गईं, स्टेशन, एयरपोर्ट बेचे गए। अब गरीब की रोटी को तिजारी में बंद करने की साजिश के साथ किसान को तबाह करने का षडयंत्र किया जा रहा है, इसे हम सफल नहीं होने देंगे। देश को कंपनियों के हाथ संचालित नहीं होने देेंगे। आजादी की दूसरी क्रांति की जरुरत पड़ी तो हम लडऩे के लिए तैयार हैं।
...तो संसद कूच करेंगे
श्री टिकैत ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसान को अपनी जमीन औलाद से भी अधिक प्यारी होती है। किसान जब तक जीवित रहता है वह अपनी जमीन औलाद तक को नहीं देता तो फिर वह अपनी जमीन जानबूझकर किसी अंजान को कैसे सौंपेगा। किसान अपनी एक इंच जमीन भी कॉरपोरेट घरानों को नहीं देने वाला है। यह आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक कृषि बिल वापस नहीं होते। बिल वापस नहीं होंगे तो हम संसद तक कूच करेंगे, जिसमें देशभर से किसान शामिल होंगे।
एक क्विंटल गेहूं में मिलता था २०० लीटर डीजल
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, 1967 में एमएसपी लागू किया गया था, लेकिन इसके बाद भी किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिला। उस दौर में गेहूं के दाम ७० रुपए प्रति क्विंटल थे। ३८ पैसे प्रति लीटर डीजल मिलता था। यदि किसान एक क्विंटल गेहूं बेच दे तो २०० लीटर डीजल खरीद सकता था। अब एक क्विंटल में २० लीटर डीजल भी नहीं खरीद पा रहा है।
२६ को भारत बंद का आह्वान
महापंचायत को भारतीय किसान यूनियन के मेजर सिंह, गुरमीत सिंह, गुरुदत्त सिंह, जसवीर सिंह, प्रीतम सिंह, सम्मति सैनी, रूपेन्द्र पटेल सहित अन्य किसान नेताओं ने संबोधित किया। सभी ने कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र सरकार की आलोचना की। बिल वापस नहीं होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी भी दी। २६ मार्च को भारत बंद का आह्वान भी किया। संयुक्त किसान मोर्चा एवं भारतीय किसान यूनियन के तत्वावधान में आयोजित महापंचायत में ओबीसी महासभा, भारत कृषक समाज, किसान मजदूर संघ सहित अनेक संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहे। सभा का संचालन एवं आभार प्रदर्शन एडवोकेट रमेश पटेल ने किया।
ये रहे मौजूद
किसान महापंचातय में ओबीसी महासभा के जिलाध्यक्ष छोटे पटेल, भारत कृषक समाज के राम गोपाल पटेल, संतोष राय, अश्वनी त्रिपाठी, केके अग्रवाल, दिलीप पटेल सहित कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक नित्यनिरंजन खंपरिया, नीलेश अवस्थी, ताराबाई पटेल, अमोल चौरसिया, राजेश चौबे, जितेंद्र श्रीवास्तव, राजीव दीक्षित, बाबा कुरैशी, पप्पू खान, ममता गोंटिया, जमीला बानो आदि उपस्थित रहीं।
पोस्टर फाडऩे पर भड़के टिकैत
आयोजन के एक दिन पहले रात में अज्ञात तत्वों ने मंच सहित आयोजन स्थल में लगे पोस्टर, फ्लैक्स क्षतिग्रस्त कर दिए। इस पर श्री टिकैत ने कहा, जिन लोगों ने किसानों के फ्लैक्स फाड़े हैं, उनमें दम है तो अपनी सरकार के पोस्टर फाड़कर दिखाएं। उनकी इन ओछी हरकतों से किसान डरने वाला नहीं है। उनको जवाब मिलेगा। पोस्टर फाडऩे से नाराज किसान यूनियन के सदस्यों ने मंडी परिसर में ही विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस और प्रशासन की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ।
कटनी में बोले- केंद्र में पूंजीपतियों की सरकार
कटनी। सिहोरा पहुंचने से पहले राकेश टिकैत ने कटनी में पत्रकारवर्ता में कहा, रोटी तिजोरी में बंद न हो और दुनिया में भूख का व्यापार न हो, इसके लिए आंदोलन जरूरी है। देश में व्यापारियों को राज होगा तो किसान, नौजवान कर्मचारी बर्बाद होगा। दिल्ली से सरकार गायब है, दिल्ली में किसी पार्टी की सरकार नहीं वरन पूंजीपतियों की सरकार है। हमारी लड़ाई तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर एमएसपी लागू करने को लेकर है। उन्होंने कहा, देश में बेरोजगारी फैलेगी, जमीने जाएंगी, बहुत बुरे हालात देश के होने वाले हैं, देश में कंपनियों का राज होगा, किसी पार्टी का राज नहीं होगा।