सब्जियों के बढ़े भाव, 80 रू.प्याज और 45 रूपये किलो हो गया आलू

सब्जियों के बढ़े भाव, 80 रू.प्याज और 45 रूपये किलो हो गया आलू

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-30 10:10 GMT
सब्जियों के बढ़े भाव, 80 रू.प्याज और 45 रूपये किलो हो गया आलू

डिजिटल डेस्क सीधी। सब्जियों के भाव सुनकर ग्राहको के इन दिनों सिर चकरा रहे हैं। पखवाड़े भर पहले 30 के भाव बिकने वाली प्याज 80 पर पहुंच गई है। आलू के दाम भी आसमान छू रहे हैं। इन दिनों आलू 45 के भाव बिक रहा है। टमाटर, गोभी, भाजी, मूली के दाम भी आम आदमी के पहुंच से बाहर हो गये हैं।
ज्ञात हो कि कोरोना को लेकर जब लाकडाउन लगा था तब गर्मी की सब्जियां पानी के भाव बिक रही थी। जिन किसानों ने बड़े रकवे में सब्जी का उत्पादन किया था उन्हे घाटा ही उठाना पड़ा है। लाकडाउन के दौरान ऐसा नहीं कि बाहर से सब्जियां आ रही थी इसलिए दाम गिरे थे, स्थानीय स्तर की सब्जियों के कारण ही काफी कम दर में सब्जी मिल रही थी। लाकडाउन के खत्म होते ही वाहनों की आवाजाही शुरू हुई तो धीरे-धीरे सब्जियों के दाम में उछाल आने लगे तो वर्तमान में स्थिति यह है कि सब्जियों के भाव सुनकर हर किसी के सिर चकराने लगे हैं। बता दें कि अभी पखवाड़े भर पहले तक शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में प्याज 30 रूपये किलो बिक रही थी। प्याज के भाव में अचानक बढ़ोत्तरी शुरू हुई तो अब 80 के करीब पहुंच गई है। यही हाल आलू के दाम में भी देखा जा रहा है। हर किसी के जरूरत में शामिल आलू वर्तमान में 45 रूपये किलो के भाव मिल रहा है। टमाटर, धनिया, मिर्च, अदरक, लहसुन, भाजी के दाम में भी किसी तरह की कमी नहीं देखी जा रही है। कुल मिलाकर बाजार में दो जून की सब्जी खरीदने के लिए सामान्य आय वाले को भी 100 की नोट खर्च करनी पड़ रही है। दुकानदारो के अनुसार प्याज और आलू के दाम में अभी और बढ़ोत्तरी होने वाली है। हरी सब्जियों की आवक शुरू होने पर अगले कुछ दिनो में भाव घट सकते हैं पर आलू, प्याज, टमाटर महंगे दाम पर ही खरीदने पड़ेंगे। 
जमाखोरी भी महंगाई की बनी वजह
आलू, प्याज की कीमतों में हो रही बेतहाशा वृद्धि के पीछे जमाखोरी को कारण बताया जा रहा है। सरकार ने भले ही स्टाक लिमिट घोषित कर दी हो पर बड़े व्यापारियों द्वारा की जा रही जमाखोरी की अभी तक कोई जांच नहीं हो सकी है। जानकारो के मुताबिक जिले के बड़े व्यापारियों ने प्याज और आलू को व्यापक पैमाने पर गोदामो में जमा कर रखा है। स्टाक में माल की कमी दिखाकर ही दर में बेतहाशा वृद्धि की जा रही है। 
 

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