मनरेगा में बन रहे तालाबों में फर्जीवाड़ा

मजदूरों की जगह उतार दी मशीनें मनरेगा में बन रहे तालाबों में फर्जीवाड़ा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-08 07:47 GMT
मनरेगा में बन रहे तालाबों में फर्जीवाड़ा

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। ग्रामीण मजदूरों को रोजगार जोडऩे के लिए बनाई गई मनरेगा जैसी बड़ी योजना प्रशासन की अंधेरगर्दी की भेंट चढ़ गई है। मजदूरों के नाम पर मशीनों से काम किया जा रहा है। इंजीनियरों ने अपने चहेतों ठेकेदारों को पेटी कांट्रेक्ट पर काम दे रखा है। प्रशासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों की शह इस कदर हावी है कि बार-बार शिकायतों के बाद भी जांच तो दूर अफसर स्पॉट निरीक्षण के लिए भी तैयार नहीं है। धड़ल्ले से पोकलेन,जेसीबी जैसी मशीनों से काम करवाया जा रहा है। जबकि महीने भर पहले ही वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने मनरेगा के तहत बन रहे इन तालाबों का निरीक्षण किया था।

अमृत सरोवर योजना के तहत मनरेगा मद से 34 तालाबों को स्वीकृति प्रदान की गई थी। जिला पंचायत से होने वाले इस काम की निर्माण एजेंसी आरईएस को बनाया गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में बन रहे इन तालाबों की स्वीकृति का उद्देश्य था कि इन तालाबों के माध्यम मनरेगा के मजदूरों को रोजगार मिल सकें, लेकिन अफसरों ने पूरी योजना पर पलीता लगा दिया है। जेसीबी और पोकलेन जैसी बड़ी-बड़ी मशीनें निर्माण में लगा दी गई है। आरईएस के ईई ने अपने चहेते इंजीनियरों को ऐसे स्पॉट दिए हैं। जहां खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा सकें। सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा तामिया ब्लॉक में चल रहा है। जहां कागजों में काम तो विभागीय इंजीनियर कर रहे है, लेकिन असल में पूरा काम इंजीनियरों ने अपने चहेतों का बांट रखा है।

इन तीन गांवों में पहुंची भास्कर टीम, आरईएस का फर्जीवाड़ा लाया सामने-

तामिया की ग्राम पंचायत जमुनिया-

तामिया ब्लॉक ग्राम पंचायत जमुनिया के टेकापार गांव में 63 लाख 22 हजार की लागत से तालाब का निर्माण किया जा रहा है। पिछले एक माह से मजदूरों को यहां नहीं लगाया गया। मौके पर एक वन-10,जेसीबी, तीन डंपर और ट्रेक्टर काम कर रहे थे। बीजी नामक कांट्रेक्टर छिंदवाड़ा को यहां पेटी पर काम दे दिया गया है। दिन रात मशीनों से मनरेगा के तालाब खोदे जा रहे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को मौके पर जाने की इजाजत नहीं है।

तामिया की ग्राम पंचायत बम्होरी:

इस गांव में आरजीएस के 68 लाख 87 हजार का निस्तारी तालाब बनाया जा रहा है। भास्कर टीम जब यहां पहुंची तो मौके पर एक वन-10,8 ट्रेक्टर काम कर रहे थे। मजदूरों का मौके पर कोई अता-पता नहीं था। स्थानीय लोगों का कहना था कि ये काम तो यहां महीनों से चल रहा है, लेकिन आज तक मजदूरों को काम पर नहीं लगाया गया। पूरी सेटिंग इंजीनियरों की है।
एलसी मरावी (एसडीओ, आरईएस, तामिया) का कहना है कि मजदूरों के माध्यम से काम हो रहा है। कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही है। 
सुशील गुप्ता (एडीशनल सीईओ,जिला पंचायत) का कहना है कि इस बारे में कुछ नहीं कह पाऊंगा। आरईएस के ईई इस मसले पर कुछ बता सकते हैं।
(नोट: इस मामले में आरईएस के ईई संजीव सनोडिय़ा से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।)
 

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