शराब के लिए पैसे न देने पर पिता ने बेटे को मार डाला
- बस स्टैण्ड में शाम होने के पहले हुई घटना शराब के लिए पैसे न देने पर पिता ने बेटे को मार डाला
डिजिटल डेस्क सीधी। शहर के सोनांचल बस स्टैण्ड में शराब के लिए पैसे न देने पर पिता ने पुत्र की हत्या कर दी। घटना के दौरान काफी लोग जमा थे पर किसी ने बीच-बचाव नहीं किया। पैसे देने पर मना करने के दौरान पहले गाली-गलौज शुरू हुई फिर गुस्साएं पिता ने रापी से हमला कर दिया। हमले के बाद एक पुत्र की मौके पर ही मौत हो गई जबकि बीच बचाव करने गए दूसरे पुत्र को हांथ में चोट आई है। घायल को उपचार के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती किया गया है। घटना रविवार शांम करीब 5.30 बजे की है।
जानकारी के अनुसार शहर के दक्षिण करौदिया निवासी संजय साकेत पिता रामस्वरूप साकेत 23 वर्ष मोची का रोजगार करता है। उसके पिता सहित सभी भाई इसी कारोबार में जुटे हुए हैं। सोनांचल बस स्टैंड में सभी एक लाइन से दुकान सजाकर काम करते हैं। संजय का पिता दोपहर से ही शराब का सेवन कर रहा था। शराब कम पडऩे पर पुत्र संजय से रुपए की मांग करने लगा, जिसने मना कर दिया। तब वह गाली-गलौज करने लगा, इसी बात को लेकर जूते सीने में प्रयोग होने वाली रापी को उठाकर पुत्र पर हमला कर दिया। करीब छ: बार हमला किया गया, गले, सिर, चेहरे सहित अन्य स्थानों पर चोटे आई। गले की चोट गंभीर होने के कारण घटना स्थल पर पुत्र ने दम तोड़ दिया। इस बीच उसका दूसरा पुत्र बीच-बचाव करने आगे आया तो उसके हांथ पर भी रापी से प्रहार किया। जिसे उपचार के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। कोतवाली पुलिस ने हत्या का मामला पंजीवद्ध कर आरोपी पिता को हिरासत में ले लिया है।
तमाशबीन बने रहे लोग
सोनांचल बस स्टैण्ड में शाम के समय काफी भीड़भाड़ रहती है। इस दौरान मोची का कार्य करने वाले तो दुकान लगाए ही रहते हैं साथ ही ठेले, खोमचे में व्यवसाय करने वाले भी कतार से दुकाने सजा लेते हैं। इसके अलावा यात्री और अन्य लोगों की भी भीड़ बस स्टैण्ड में जमा ही रहती है। घटना के दौरान जब गाली-गलौज शुरू हुई और घातक औजार रापी से वार किया जाने लगा तब वहां मौजूद लोग बीच-बचाव करने नहीं आ सके। कई तमाशबीन तो ऐसे भी रहे जो मोबाइल से वीडियो बनाने में जुटे हुए थे। बताया जाता है कि जहां पर घटना हुई है ठीक पास चार-पांच पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे हैं पर उन्होने भी किसी तरह की रोक-टोक नहीं की। बीच-बचाव हो गया होता तो शायद युवक को जान से हाथ न धोना पड़ता। जो भी हो शहर में होने वाली अक्सर मारपीट की घटनाओं में अब बचाव करने कम ही लोग पहुंचते हैं, अधिकांश तमाशबीन ही बने रहते हैं।