किसानों ने सोयाबीन से फेरा मुंह कपास और धान को प्राथमिकता

कामठी किसानों ने सोयाबीन से फेरा मुंह कपास और धान को प्राथमिकता

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-15 11:43 GMT
किसानों ने सोयाबीन से फेरा मुंह कपास और धान को प्राथमिकता

डिजिटल डेस्क, कामठी। पिछले साल के खरीफ और रबी सीजन में तहसील के किसानों को हुए भारी नुकसान के बाद इस वर्ष फिर किसानों ने बड़ी उम्मीद के साथ खरीफ की तैयारी शुरू कर दी हैं। नुकसान के बावजूद किसी ने बैंक से तो किसी ने साहूकार से कर्ज लेकर बुआई की तैयार कर ली है। कामठी कृषि विभाग ने भी खरीफ का नियोजन कर लिया है। इस नियोजन के चलते तहसील में कुल 25,157 हेक्टेयर में विविध फसलों का नियोजन किया गया है। इस वर्ष कपास और धान का बुआई क्षेत्र बढ़ने की संभावाना है। वहीं लगातार हो रहे नुकसान के चलते सोयाबीन का बुआई क्षेत्र 50 प्रतिशत घट गया है।

खेतों में जुट गए किसान

कोरोनाकाल से खेती व्यवसाय में निरंतर हो रहे नुकसान के बावजूद भी हार नहीं मानते हुए किसान कृषिकार्य में जुट गए हैं। रबी में हुए नुकसान के बाद अब खरीफ के लिए अपने पूरे परिवार के साथ किसान खेतों में जुटे हंै। तहसील में भले ही अधिकांश किसानों को बैंकों ने कर्ज नहीं दिया हो, लेकिन किसानों ने साहूकारों और किसी परिचित से कर्ज लेकर इस बार खरीफ में बुआई करने की ठान ली है। सरकार की ओर से अभी तक इन कसानों को रबी में हुए नुकसान का मुआवजा नहीं दिया है, जिसकी प्रतीक्षा आज भी किसान कर रहे हैं। ऐसे में सरकार ने जल्द से जल्द इन किसानों को मुआवजे की राशि देने की मांग की जा रही हैं। 

इस प्रकार है फसलों का नियोजन

कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष खरीफ के लिए जो नियोजन किया है उसके मुताबिक धान 11,225 हेक्टेयर, सोयाबीन 3020 हेक्टेयर, कपास 5885 हेक्टेयर, तुअर 1960 हेक्टेयर, गन्ना 1125 हेक्टेयर, हरी सब्जी 1450 हेक्टेयर, मिर्ची 100 हेक्टेयर, सिंगाडा 13 हेक्टेयर, मूंग और उड़द 2 हेक्टेयर, मक्का 35 हेक्टेयर,ज्वारी 5 हेक्टेयर, फूलों की खेती 250 हेक्टेयर तथा अन्य विविध फसलों की बुआई क्षेत्र का 25,157 हेक्टेयर में नियोजन किया गया है।

50 प्रतिशत घटा सोयाबीन बुआई क्षेत्र

एक समय था जब सोयाबीन और कपास को किसान नकद फसल के रूप में देखते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से सोयाबीन में लगातार हो रहे नुकसान के चलते अब किसानों ने सोयाबीन से तौबा कर ली है। तहसील के किसानों ने अब कपास और धान की फसल को प्राथमिकता देने से तहसील में सोयाबीन का रकबा घट कर 50 प्रतिशत ही रह गया है।

 

 

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