बांध निर्माण के विरोध में किसानों ने किया प्रदर्शन
बांध निर्माण के विरोध में किसानों ने किया प्रदर्शन
डिजिटल डेस्क करंजिया/डिण्डौरी। बांध निर्माण में 11 ग्रामों की लगभग 750 हेक्टेयर जमीन डूब में जा रही है। जिसे लेकर किसानों और ग्रामीणों द्वारा प्रदर्शन जारी है। बुधवार को जनपद पंचायत करंजिया का घेराव करते हुए हजारों की संख्या में उपस्थित महिला पुरूषों ने किसी भी कीमत पर बांध का निर्माण न होने देने का निर्णय लिया है। यहां किसानों ने कहा है कि उनके साथ शुरू से ही धोखा किया जाता रहा है। बांध प्रोजेक्ट के सभी कागज अचानक सामने आए है जिसमें कहां कितना रकबा डूबेगा इसकी भी जानकारी पूर्व में नहीं दी गई है। न ही धारा 3, 4, 5, 9, 11 और 21 के तहत पुर्नवास की कोई व्यवस्था किए जाने का प्रावधान तैयार किया गया है। वहीं किसानों को यह भी नहीं मालूम है कि उनकी कितनी जमीन डूब में आ रही है और उसका कितना मुआवजा शासन द्वारा दिया जाएगा। यहां किसानों को अंधेरे में रखकर पिछले दो सालों में बांध निर्माण की योजना तैयार कर ली गई। न इस संबंध में ग्रामीणों से बात की और न ही पंचायतों में इस मसले पर चर्चा हो सकी है। यहां अचानक बांध निर्माण किए जाने का प्रस्ताव भेजा गया और लगभग 55 करोड़ रूपए की लागत से प्रस्तावित बांध की रूपरेखा तय करने के लिए अधिकारी मौके पर पहुंचने लगे तो ग्रामीणों ने इसका विरोध प्रारंभ कर दिया है। इन सब हालातों को लेकर 11 गांव में बसे लगभग 11 हजार परिवारों में खासा आक्रोश है और उन्होंने किसी भी कीमत पर विस्थापित न होने और अपनी जमीन बांध निर्माण के लिए न देने की घोषणा की है। यहां चल रहे आंदोलन को लेकर बुधवार को एसडीएम व जल संसाधन विभाग कार्यपालन यंत्री मौके पर पहुंचे। जिनका भी घेराव किया गया। जहां अधिकारी किसानों की बात सुने बिना ही मौके से निकल गए। जिसे लेकर भी किसानों में आक्रोश बना हुआ है।
इंसानों को कम वन प्राणियों को ज्यादा
यहां आंदोलन कर रहे किसानों का साथ दे रहे जिला पंचायत उपाध्यक्ष गंगा सिंह पट्टा ने कहा कि करंजिया विकासखण्ड में 66 गांव है जिनमें 22 ग्राम वनग्रामों के तहत आते है। इन वन ग्रामों को बांध का अधिकतर लाभ मिलेगा। शासन की यह योजना इंसानों को लाभ देने की कम है वहीं इस योजना का लाभ वन जीवों को मिलेगा। यही वजह है कि अधिकारियों ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि बांध से कितना रकबा सिचिंत होगा। जहां करंजिया विकासखण्ड में बन रहे इस बांध का लाभ वन प्राणियों को मिलेगा वहीं उमरिया जिले को भी इसका लाभ अर्जित होगा जबकि वहां के किसी भी गांव को योजना में शामिल नहीं किया गया है।
ऊबड़-खाबड़ है क्षेत्र
बांध का निर्माण कार्य जिस नदी पर किया जाना प्रस्तावित है उस नदी के दोनों छोरों पर बड़े ऊबड़-खाबड़ पाट है और कटाव अधिक होने के साथ-साथ कई नाले भी आकर मिलते है जिसके कारण यहां नहर आदि का निकाला जाना विसंगति पूर्ण है। इन स्थितियों में माना जा रहा है कि बांध का सिर्फ निर्माण कार्य सीमित क्षेत्र के लिए और वन प्राणियों के लिए होगा। जंगल में पानी की व्यवस्था करने के लिए किए जा रहे इन प्रयासों पर स्थानीय नेताओं ने भी कोई सुध नहीं ली जबकि परियोजना मण्डल द्वारा प्रस्ताव तैयार किए जाने के दौरान विधायक और सांसद को भी शामिल किया जाता है। ऐसे में उनकी राय भी ली जाती है, लेकिन यहां विधायक, सांसद ने भी लोगों को धोखे में रखा है।
इनका कहना है
बांध निर्माण कार्य को लेकर किसानों व ग्रामीणों का आक्रोश सामने आया है। यहां पिछले दो साल से कार्ययोजना तैयार की गई थी और इसकी जानकारी भी ग्रामीणों को दी जा रही है जहां वर्तमान में 11 गांव बि_देह बांध निर्माण में डूब में आएंगे जिनमें लगभग 750 हेक्टेयर जमीन किसानों की ली गई है। वैसे कहा कितना मुआवजा दिया जाएगा या इससे कितना एरिया सिंचित होगा यह प्रस्ताव में है। बांध को लेकर किए जा रहे आंदोलन की रिपोर्ट कलेक्टर को सौप दी गई है।
ए.के. डेहरिया, ईई जल संसाधन विभाग डिण्डौरी