राजपत्र में प्रकाशन के बाद भी अधिकारी अवैध कॉलोनियों के प्रकरणों की कार्रवाई दबाकर बैठे

छिंदवाड़ा   राजपत्र में प्रकाशन के बाद भी अधिकारी अवैध कॉलोनियों के प्रकरणों की कार्रवाई दबाकर बैठे

Bhaskar Hindi
Update: 2022-01-27 07:34 GMT
राजपत्र में प्रकाशन के बाद भी अधिकारी अवैध कॉलोनियों के प्रकरणों की कार्रवाई दबाकर बैठे

डिजिटल डेस्क  छिंदवाड़ा  अवैध कॉलोनियों को लेकर शासन से जारी होने वाली नई गाइडलाइन राजपत्र में प्रकाशित हो चुकी है, लेकिन निगम के अधिकारी अभी भी प्रकरण की फाइलें दबाकर बैठे हैं, न ही कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया शुरू हो रही है और न ही 2016 के बाद कटी अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई। जबकि अब तक अफसर इस वजह से कार्रवाई से बच रहे थे कि शासन से आने वाली नई गाइडलाइन के बाद अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई शुरू हो सकेगी। निगम अफसरों की छूट और संरक्षण के चलते शहर में जहां-तहां अवैध कॉलोनियां पनप रही हैं। अब स्पष्ट हो चुका है कि 2016 के पहले की ही कॉलोनियों को वैध किया जा सकता है। जबकि निगम के पास मौजूद सूची में 2016 के बाद की ही 200 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों के नाम शामिल हैं। इनमें वे कॉलोनाइजर भी मौजूद हैं। जिनके खिलाफ प्रशासन ने पिछले दिनों मोहरली, परतला और परासिया रोड सहित खजरी में कार्रवाई की थी। खुद कलेक्टर ने इन कॉलोनाइजर के ले-आउट तोडऩे के लिए आदेशित किया था, कार्रवाई हुई। जिसके बाद राजस्व विभाग ने नाम निगम को सौंप दिए। जिसमें डेवलपर से लेकर भू-स्वामी तक का नाम शामिल था, लेकिन नोटिस के आगे कुछ नहीं हो पाया।
न पुलिस ने प्रकरण कायम किए, न कोर्ट गए अधिकारी
निगम ने तकरीबन 84 अवैध कॉलोनाइजरों की सूची पुलिस को एफआईआर के लिए सौंपी थी, लेकिन पुलिस ने अधूरे दस्तावेजों का हवाला देकर कार्रवाई करने से मना कर दिया। बाद में निगम अधिकारी कोर्ट जाने की बात भी कर रहे थे, लेकिन निगम से फाइल नहीं निकल पाई।
जगह-जगह लगे बोर्ड, लेकिन निगम को नहीं दिख रहे
शहर में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां पर अवैध कॉलोनियां न विकसित हो रही हों। जगह-जगह प्लाट खरीदी बिक्री के बोर्ड लगे हुए हैं, लेकिन निगम को ये नजर नहीं आ रहे। दरअसल, कार्रवाई के नाम पर निगम के अधिकारी पूरी टालामटोली राजस्व विभाग पर कर देते हैं। जबकि राजस्व विभाग के अफसर ये कहकर कार्रवाई नहीं करते हैं कि निगम गठन के बाद कार्रवाई का पूरा अधिकार अब निगम आयुक्त के पास चला गया है।

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