संजय गांधी कॉलेज की पांच एकड़ भूमि लील गया अतिक्रमण

 संजय गांधी कॉलेज की पांच एकड़ भूमि लील गया अतिक्रमण

Bhaskar Hindi
Update: 2020-08-11 09:44 GMT
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डिजिटल डेस्क सीधी। संजय गांधी कॉलेज के पांच एकड़ भूमि को अतिक्रमण लील गया है। 58 एकड़ कुल भूमि में संचालित संजय गांधी कॉलेज की ही भूमि से 16 एकड़ कन्या महाविद्यालय संचालित है तो पांच एकड़ भूमि में केन्द्रीय विद्यालय और तीन एकड़ भूमि में खन्नौधा विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। शेष बची कॉलेज की भूमि में से पांच एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा हो गया है।
जिले का इकलौता स्वशासी महाविद्यालय संजय गांधी कॉलेज अतिक्रमण से मुक्ति नहीं पा रहा है। अतिक्रमण हटाने की कई बार पहल हुई लेकिन सफलता हाथ नहीं लग सकी है। गरीबों के झोपड़ पट्टी और घर सामने आने के बाद राजनीतिक दवाब इतना बढ़ जाता है कि प्रशासन को बढ़े कदम वापस लेने पड़ते हैं। गरीबों के आड़ में रसूखदारों का अवैध कब्जा लम्बे समय से बचा हुआ है। बताया जाता है कि कॉलेज के दक्षिणी, पश्चिमी भाग की भूमि में ज्यादा अतिक्रमण किया गया है। इसी तरह अतिक्रमण के कारण ही कॉलेज ग्राउण्ड की भूमि भी सिमट गई है। शुरूआती दौर में कॉलेज की जितनी भूमि रही उसमे शासकीय कन्या महाविद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय और शासकीय विद्यालय खन्नौधा संचालित हो रहा है। इन संस्थानों के संचालन के लिए अलग से भूमि न होने के कारण कॉलेज की भूमि उपलब्ध करा दी गई किन्तु इसके बाद जितनी शेष जमीन बची उसमे अतिक्रमणकारियों की नजर लग गई। बताया जाता है कि शुरूआत में लोगों ने झोपड़ पट्टी बनाये फिर उसी स्थान पर पक्के मकान बना लिये हैं। इतना ही नहीं धीरे-धीरे बाउण्ड्री बढ़ानी शुरू की तो कॉलेज की पांच एकड़ भूमि हजम कर गये। इस संबंध में कॉलेज प्रशासन बीच-बीच में कलेक्टर को अवगत कराता रहा जहां अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही भी शुरू की गई लेकिन कोई भी कार्यवाही अन्जाम तक नहीं पहुंच सकी है। दरअसल में वोट की राजनीति के चलते अतिक्रमण हटाने की हर कार्यवाही के दौरान राजनैतिक दल के नेता बीच में टपक पड़ते हैं जिस कारण प्रशासन को भी पीछे हटना पड़ता है। बीते महीने कॉलेज भवन के दक्षिण-पश्चिम छोर में अतिक्रमण को हटाने नगर पालिका, एसडीएम और पुलिस का अमला पहुंचा था जहां बहुत कुछ कार्यवाही हो भी गई थी किन्तु अगले दिन की कार्यवाही को रोक दिया गया। अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही में विराम लग जाने के कारण फिर से यथास्थिति बन गई है। कुल मिलाकर संजय गांधी कॉलेज के कुल रकवे का अगर सीमांकन करा लिया जाये तो पांच एकड़ के करीब भूमि लापता मिलेगी। कॉलेज प्रबंधन को अतिक्रमण के चपेट में आई भूमि की जानकारी भी है जिसको लेकर आए दिन शिकायत की जाती रहती है लेकिन शासकीय विद्यालयों की तरह कॉलेज की भूमि पर भी अतिक्रमणकारी डटे हुए हैं।
कब्जे के साथ पट्टे की भी बात करने लगे अतिक्रमणकारी
संजय गांधी कॉलेज के जिस भूमि में अतिक्रमण कर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है उसमे से अधिकांश अब पट्टे की बात करने लगे हैं। कॉलेज की भूमि का पट्टे कैसे बन गया यह भी अलग से सवाल बना हुआ है। गरीब परिवार जिन्होने झोपड़ी के साथ कच्चे, पक्के आवास बना लिये हैं वे तो मानते हैं कि गलत हुआ है लेकिन रसूखदार तो दबंगई के साथ पट्टा होने की बात कर रहे हैं। बता दें कि कॉलेज से ही सटी हुई निजी भूमियों के दाम वर्तमान में आसमान छू रहे हैं इसीलिए लोग कॉलेज की भूमि पर कब्जा करने होड़ मचाये हुए हैं। जाहिर है अतिक्रमण हटाने की सख्ती से अगर कार्यवाही नहीं हुई तो वह दिन दूर नहीं जब कॉलेज का भवन तो होगा लेकिन भूमि नहीं होगी। इसके साथ ही खेल मैदान भी कुछ वर्षो बाद गायब मिलेगा।
खन्नौधा विद्यालय की आधा एकड़ भूमि भी नहीं बची
संजय गांधी कॉलेज के 58 एकड़ भूमि में से खन्नौधा विद्यालय के लिए तीन एकड़ भूमि दी गई थी लेकिन वर्तमान में आधा एकड़ भूमि भी नहीं बची है। विद्यालय की भूमि पर अवैध कब्जे धारियों ने अतिक्रमण कर रखा है। बताया जाता है कि जहां पर विद्यालय भवन बना हुआ है उसके सामने आंगन जैसे ग्राउण्ड को तो देखा जा सकता है लेकिन शेष बची जमीन पर पक्के मकान पाये जाएंगे। विद्यालय की भूमि कहां चली गई इसे बताने वाला कोई नहीं है। कॉलेज की दूसरी भूमि पर हुए अतिक्रमण को लेकर भले ही बीच-बीच में कार्यवाही की जाती हो किन्तु खन्नौधा विद्यालय के शेष जमीन की खोजबीन आज तक नहीं हुई है। यहां की बेशकीमती भूमि अतिक्रमण की बलि चढ़ गई है। फिलहाल कलेक्टर ने कॉलेज, स्कूल की सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही शुरू करने की बात तो कही है पर कब तक में मुहिम रंग दिखाती है यह देखने वाली बात होगी। अभी तो सरकारी संस्थाओं की भूमि पर अतिक्रमणकारियों का ही कब्जा बना हुआ है।
 

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