दन्तेवाड़ा : मेहरार चो मान’ बनी महिलाओं की पहचान : मेहनत की कमाई से महिलायों के चेहरे पर आई मुस्कान

दन्तेवाड़ा : मेहरार चो मान’ बनी महिलाओं की पहचान : मेहनत की कमाई से महिलायों के चेहरे पर आई मुस्कान

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-07 08:38 GMT
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डिजिटल डेस्क, दन्तेवाड़ा। दंतेवाड़ा का नाम सुनते ही सबके जहन में नक्सली क्षेत्र और हिंसक वारदात ही आते है, पर मेहरार चो मान उनके लिए करारा जवाब है। पैडमैन की तर्ज में यहाँ पैडवुमेंस जागरूकता फैलाकर जिले की महिलाओ का मान बढ़ा रहीं है। धुर नक्सली क्षेत्र में जिला प्रशासन और एनएमडीसी की पहल से हल्बी भाषा के वाक्य ‘मेहरार चो मान ‘अर्थात महिलाओ का सम्मान के नाम से सेनेटरी पैड निर्माण की महत्वकांक्षी परियोजना चलाई जा रही है जिसके लिए जिला प्रशासन द्वारा निःशुल्क 8 महिला स्व समूहों को सेनेटरी पैड निर्माण करने की मशीन प्रदान किये गए। जिसके द्वारा कम कीमत में बाजार में उपलब्ध बड़े ब्रांडों से बेहतर, जैल युक्त, अधिक सोखने वाला, पर्यावरण अनुकुलित, केमिकल रहित सेनेटरी पैड का उत्पादन किया जा रहा है। जिसकी कीमत 25 रु प्रति पैकेट (7पैड ) है जो केंद्रों को जिला प्रशासन द्वारा दिया जा रहा है। जिला प्रशासन के सहयोग से आठ केंद्रों में निशुल्क सेनेटरी नैपकिन पैड का मशीन दिया गया है जिसकी कुल लागत 24लाख 71 हजार 648 है वर्तमान में स्व सहायता समूह के द्वारा कुल 3 लाख 31 हजार 8सौ 08 पैड का निर्माण किया गया है और अब तक 14 लाख 10 हजार 9 सौ 07 रूपये की राशि प्राप्त कर चुके हैं वर्तमान में 8 समूह की कुल 90 महिलाओं को आजीविका से जोड़कर रोजगार का अवसर मिला । जिले में चल रही महत्वकांक्षी कार्यक्रम मेहरार चो मान जिसने जिले की बालिकाओं, महिलाओं के मन से माहवारी के भ्रांतियों, अंधविश्वासों को दूर कर उन्हें स्वच्छता के प्रति जागरूक किया और पैड के प्रयोग को बढ़ावा दिया ताकि जिले की बालिकाएं, महिलाएं स्वस्थ्य और खुशहाल रहें। जिसमें बड़ेबेड़मा, कटेकल्याण, मुचनार गीदम, कारली, चितालुर, बालुद, भांसी, मैलावाड़ा, कोड़ेनार की दिदियां शामिल थी। इस परियोजना का उद्देश्य केवल किशोरियों और महिलाओं को सेनेटरी पैड उपलब्ध कराना न होकर उन्हें मासिक धर्म के बारे में विभिन्न भ्रांतियों के प्रति जागरूक कर गम्भीर बीमारियों से निजात दिलाना भी है। ‘मेहरार चो मान‘ अभियान से जुड़कर समूह की महिलाएं न केवल सेनिटरी पैड निर्माण से आय अर्जित कर अपने परिवार को संबल प्रदान कर रहीं हैं। बल्कि किशोरियों और ग्रामीण महिलाओं को निःशुल्क सेनिटरी पैड वितरण कर जागरूक भी कर रहीं है। इस छोटी सी पहल का इतना असर हुआ है कि कभी आपस में मासिक धर्म के बारे में बात न करने वाली ग्रामीण महिलाएं अब बेबाक होकर अपनी समस्या बता लेती हैं। पूरे गांव और आसपास के इलाके में घरों में इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल न कर अब पैड्स का इस्तेमाल कर रही हैं, छात्राओं की स्कूलों में उपस्थिति भी इससे बढ़ी है। इन महिलाओं द्वारा बनाए गए सेनेटरी पैड को आश्रम और छात्रावास, स्कुल और पोटा केबिन में अध्ययनरत बालिकाओं को निशुल्कः उपलब्ध कराया जा रहा है। जिला प्रशासन ने समूह की महिलाओं से चर्चा कर उनकी कामयाबी के लिए बधाई दी।

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