गौ-अभ्यारण्य सालरिया को आदर्श बनाया जाएगा गौ-अभ्यारण्य को गौ-पर्यटन केन्द्र बनाया जाएगा

गौ-अभ्यारण्य सालरिया को आदर्श बनाया जाएगा गौ-अभ्यारण्य को गौ-पर्यटन केन्द्र बनाया जाएगा

Bhaskar Hindi
Update: 2020-11-23 09:47 GMT
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डिजिटल डेस्क, आगर-मालवा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गौ-अभ्यारण्य सालरिया को एक आदर्श गौ-अभ्यारण्य बनाया जाएगा। गायों के गोबर एवं गौमूत्र से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा दिया जाकर देश-प्रदेश मे एक अलग पहचान दिलाई जाएगी। गायों के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु गठित गौ-केबिनेट द्वारा देश-विदेश में गोसेवा का अध्ययन कर प्रदेश में बेहतर प्रबंधन करने का प्रयास किया जाएगा। प्रदेश में गायों को भटकने नहीं दिया जाएगा। इसके लिए गौशालाओं के निर्माण के लिए शासकीय भूमि के आवंटन के नियम बनाए जाएंेगे। गौवंश के संरक्षण के लिए गौवंश अधिनियम बनाकर उसका संचालन किया जाएगा। वन विभाग की खाली पड़ी भूमि को चारागाह के रूप विकसित किया जाएगा। आंगनवाड़ी में बच्चों को पोषण आहार में अंडे की जगह गाय का दूध वितरित किया जाएगा। जिससे पशुपालकों को भी दूध विक्रय से लाभ होगा तथा बच्चों को भी अमृत समान दूध का पोषण मिलेगा। उक्त बाते मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज रविवार को आगर-मालवा जिले के गौ-अभ्यारण्य सालरिया में गौ संवर्द्धन एवं संरक्षण विषय पर जनसभा को संबोधित करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण एवं भगवान बलराम पहली बार गाय चराने जंगल में गए थे। इसलिय प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाते है। इस दिन गौमाता एवं गोपालक की पूजा की जाती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सालरिया गौ-अभ्यारण्य में गायों का पूजन कर देश एवं प्रदेश की जनता की सुख-समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गौमाता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। अनादिकाल से ही ऋषि, मुनि एवं संतो ने गाय की भगवान के रूप में सेवा-पूजा की है। पहले गौमाता के बिना खेती संभव नहीं थी, लेकिन आज के युग में खेती कार्य ट्रेक्टर से होने लगा है। जिससे हमारी श्रद्धा गौमाता के प्रति थोड़ी कम हो गई है, इसी कारण गौवंश इधर-उधर भटक रहा हैं। अब गौवंश इधर-उधर नहीं भटके इसलिए सरकार द्वारा लगभग दो हजार गौशालाएं खोली जाएगी। जिनका संचालन सरकार एवं समाज दोनों को मिलकर करना होगा। साथ ही स्वयं सेवी संस्थाओं का भी सहयोग गौशालाओं के संचालन में लिया जाएगा। गौवंश के उपचार हेतु गौवंश संजीवनी योजना फिर से शुरू की जाएगी। पूर्व की सरकार ने जो गौ सदन 1999 मे बंद कर दिये थे, वो सभी आठो गौ,सदन फिर से प्रारम्भ किये जायेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पंचायतों में गौवंश के प्रबंधन के लिए राज्य वित्त आयोग की राशि का उपयोग किया जाएगा। गौशालाओं में बिजली-पानी की व्यवस्था हेतु पंच-परमेश्वर की राशि का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं हर जिला कलेक्टर को निर्देशित कर रहा हूँ कि प्रत्येक गौशाला के लिए जनपद पंचायतवार नोडल अधिकारी नामंाकित करें। नोडल अधिकारी गौशालाओं का नियमित भ्रमण एवं निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को बेहतर करने का कार्य करेंगें। गौवंश उत्पादों के संवर्धन एवं विक्रय के लिए बेहतर व्यवस्था की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय का हर उत्पाद अमृत समान है। गाय के गोबर से घर की लिपाई-पुताई करने से रेडिएशन से नुकसान नहीं पहुंचता है तथा सकारात्मक ऊर्जा आती है। गाय के गोबर से बने कण्डे एवं गौकाष्ट का उपयोग करने से लकडि़यों की वजह से कटने वाले पेड़ बचेंगें। जिससे पर्यावरण का संरक्षण होगा। किसान खेती में रासायनिक खाद की जगह गाय के गोबर से बनी खाद का उपयोग करें, जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी एवं जैविक खादों से उगने वाले फल, सब्जियां एवं अनाज हमें बीमारियों से बचाऐंगे। रासायनिक खाद धीमा जहर है, जो खेती में प्रयोग करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनती है, इसलिए सभी किसान खेतों में गायों के गोबर से बनी खाद ही प्रयोग में लाए। उन्होंनें कहा कि सभी मुक्तिधाम में गायों के गोबर से बनी गोकाष्ट एवं कण्डे का उपयोग करें। जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गौ-उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पहली रोटी गाय को एवं अंतिम रोटी को कुत्तें को खिलाना भारतीय संस्कृति रही है। इसलिए गौमाता की रक्षा के लिए सभी को सहयोग करना होगा। मैं यह भी सोच रहा हूॅ कि लोगों से अलग-अलग मदद लें, उसकी जगह जनता पर छोटा-मोटा टैक्स लगाकर पैसा वसूल कर लें और गौमाताओं की सेवा में लगाएं। सालरिया गौ-अभ्यारण्य को गौ-पर्यटन केन्द्र बनाया जाएगा। अभ्यारण्य परिसर में पेड़-पौधे लगाए जाएंगे, चैक डेम, स्टाप डेम आदि का निर्माण करवाया जाएगा।

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