70 हजार से अधिक आबादी को काम कराने नदी पार कर 70 किलोमीटर की दूरी तय कर आना पड़ता है चितरंगी 

बगदरा को तहसील बनाने की जरुरत 70 हजार से अधिक आबादी को काम कराने नदी पार कर 70 किलोमीटर की दूरी तय कर आना पड़ता है चितरंगी 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-04 09:30 GMT
70 हजार से अधिक आबादी को काम कराने नदी पार कर 70 किलोमीटर की दूरी तय कर आना पड़ता है चितरंगी 

डिजिटल डेस्क  सिंगरौली (वैढऩ)।  चितरंगी से बगदरा की दूरी 70 किलोमीटर है, सोन नदी के उस पार स्थित बगदरा और आसपास के लोगों को अपने छोटे से छोटे काम के लिए लंबी दूरी तय कर चितरंगी आना पड़ता है, लिहाजा बगदरा को तहसील बनाए जाने की जरुरत वर्षों से महसूस हो रही है। बगदरा और आसापस के दो दर्जन से अधिक पंचायतों को मिलाकर 70 हजार से अधिक आबादी निवासरत है। कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित जाति अनूसूचित जनजाति का है जो आसपास के गांवों में निवासरत है, लेकिन पूरी आबादी के पास मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। आवागमन के लिए पक्की सडक़ें न होने की वजह से बगदरा सहित आसपास के गांवों में बसे लोग खरीदी करने के लिए भी चितरंगी आने की बजाय उत्तरप्रदेश के घोरावल व अन्य क्षेत्रों में जाते हैं। बगदरा क्षेत्र में सरकारी कार्यालय के नाम पर सिर्फ एक राजस्व सर्किल ऑफिस कोरावल में स्थित है, लेकिन वहां पर भी कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी के चलते लोगों के छोटे-मोटे काम तक नहीं हो पाते हैं लिहाजा लोगों की सुविधाओं के लिए बगदरा में तहसील कार्यालय खोले जाने की जारुरत है।
स्थानीय लोगों ने की मांग
बगदरा को तहसील बनाए जाने के लिए बगदरा और आसपास के गांवों के लोगों ने भी तहसील बनाए जाने की आवाज बुलंद कर दिया है। लोगों का कहना है कि जब तक बगदरा में तहसील की स्थापना नहीं होती है, तब तक सोन नदी के उस पार का विकास नहीं हो सकता है। 2011 की जनगणना के अनुसार सोन नदी के उस पार स्थित दो दर्जन से अधिक पंचायतों की जनसंख्या 40 हजार से अधिक थी वर्तमान में 70 हजार के करीब आबादी हो चुकी है। लिहाजा, बगदरा क्षेत्र में तहसील कार्यालय के अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं में भी विस्तार किए जाने की जरुरत है।
जिले में हैं 6 तहसीले
वर्तमान में सिंगरौली जिले में देवसर, माड़ा, सिंगरौली ग्रामीण, सिंगरौली शहर, चितरंगी, सरई मिलाकर कुल 6 तहसीले हैं। वहीं 13 राजस्व सर्किल हैं, जिसमें नायब तहसीलदार बैठते हैं। अमिलिया, मकरोहर, पंजरेह, मौहरिया, सासन, खुटार, कोरावल, कचनी सरौंधा, गिर्द, खनुआ, दुधमनिया और निवास वृत्त हंै। बगदरा को तहसील बना दिया जाता है तो चितरंगी तहसील में अभी जो काम का बोझ अधिक रहता है, वह भी कम हो जाएगा और लोगों को 70 किलोमीटर की दूरी तय कर काम के सिलसिले में चितरंगी नहीं आना पड़ेगा।
सोन के उसपार आते हैं ये गांव
सोन नदी के उस पार बगदरा क्षेत्र में नौडिहवा, खैडार, तमई, कुलकवार, लाहदा, करौंदिया, खम्हरडीह, दुधमनिया, मौहरिया, शिवपुरवा, बघेरी, भुर्तिया टोला, क्योंटली, गोपला, नैकहवा, रमपुरवा रेही सहित आधा सैकड़ा से अधिक गांव आते हैं। इन गांवों में अभी तक मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। तहसील बन जाने के बाद इन गांवों में चलने वाले सरकारी विकास कार्यांे की भी मॉनीटरिंग हो सकेंगी और लोगों को आसानी से सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा।
क्या कहते हैं लोग?
बगदरा में तहसील बनना चाहिए क्योंकि बगदरा से चितरंगी की दूरी 70 किलोमीटर है। छोटे से छोटे काम के लिए बगदरा और आसपास के लोगों को लंबा सफर तय करना पड़ता है। तहसील बनने से बगदरा क्षेत्र के गांवों का विकास होगा बल्कि लोगों को भी आसानी से सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। 
-अनूप कुमार, निवासी नैकहवा
बगदरा को तहसील बना दिया जाना चाहिए क्योकि जिला मुख्यालय से बगदरा की दूरी 130 किलोमीटर के करीब है। सोन नदी के उस पार बसे होने की वजह से क्षेत्र हमेशा से उपेक्षित रहा है। संसाधनों का अभाव होने की वजह से बगदरा और आसपस के लोग खरीदी करने के लिए यूपी के घेरावल जाते हैं, जिससे जिले को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। 
-सुगन प्रसाद, निवासी नैकहवा
बहुत बड़े तबके को मिल जाएगी राहत
बगदरा को तहसील बनाए जाने से बहुत बड़े तबके को राहत मिल जाएगी। बगदरा क्षेत्र विकास के मामले में शुरु से ही उपेक्षित है। खनिज संपदा से भरपूर इस क्षेत्र में अगर तहसील और स्वास्थ्य सुवधिाओं में विस्तार किया जाता है तो न केवल गरीब वर्ग के लोगों का भला होगा बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। 
-रामभाल, निवासी खैड़ार
 

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