मौसम के बदले तेवर: सुबह हल्की तो अपरान्ह बाद हुई झमाझम बारिश

बालाघाट मौसम के बदले तेवर: सुबह हल्की तो अपरान्ह बाद हुई झमाझम बारिश

Bhaskar Hindi
Update: 2022-01-15 06:24 GMT
मौसम के बदले तेवर: सुबह हल्की तो अपरान्ह बाद हुई झमाझम बारिश

डिजिटल डेस्क बालाघाट. पिछले छह दिनों से मौसम का मिजाज पूरी तरह से बदला हुआ है। शुक्रवार को सुबह हल्की बारिश हुई और अपरान्ह बाद रुक-रुककर झमाझम बारिश का सिलसिला लगातार देर शाम तक अनवरत चलता रहा। खराब मौसम की वजह से सड़को पर सन्नाटा पसरा नजर आया। सुबह से लेकर प्रात: 8 बजे तक आसमान में धुंध छाई रही। 
दो दिन से पारा स्थिर 
बारिश की वजह से पारे में गिरावट आने के बाद ठिठुरन बढ़ गई। शुक्रवार को पारा न्यूनतम 13 तो अधिकतम 21 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसी प्रकार दक्षिण बैहर क्षेत्र के वन विहार क्षेत्रों में न्यूनतम पारा करीब 9 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया। हाालाकि बारिश के वजह से लोगों की दिनचर्या काफी हद तक प्रभावित देखने को मिली।
दिनभर चलती रही ठंडी हवाएं, लोगों ने लिया अलाव का सहारा  
बर्फीले बारिश की वजह से सुबह से लेकर शाम तक हल्की ठंडी हवाएं चलती रही जिसके चलते मौसम पूरी तरह से सर्द हो गया। हाड़कंपा देने वाली ठंड से निजात पाने के लिए शहरी एवं ग्रामीण अंचलों के लोगों को अलाव का सहारा लेना पड़ा।   
खेतों में भरा पानी, दलहन एवं सब्जी की फसलें प्रभावित 
इधर पिछले चार दिनों से हो रही बारिश से खेतों में लगी दलहन एवं साग सब्जी की नगद फसल काफी हद तक प्रभावित होने की संभावनाएं जताई जा रही है। दलहन फसलों में अरहर के साथ ही अलसी, सरसो, चना एवं उसेरा की फसल उड़द को बेहद ही नुकसान पहुंचा है। खेतों में पानी जमा होने की वजह से चना की फसल पर प्रतिकूल असर पडऩा लाजमी माना जा रहा है। यदि समय रहते खेतों में जमा पानी की निकासी नही हुई तो चने की फसल में कीट व्याधि के साथ ही उकटा रोग लगने की संभावना बनी हुई है।
किसानों ने कहा: पनिया अकाल का संकट
बे-मौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार से सहमे किसानों का कहना रहा कि वे इन दिनों पनिया अकाल के संकट से गुजर रहे है। खेतों में खड़ी दलहन एवं अन्य फसले जहां ओलावृष्टि की मार से बर्बाद हुई है वहीं अब बारिश की वजह से चना और अन्य फसलों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे है। ओले और बारिश से बालाघाट जिले में करीब एक हजार हैक्टेयर में लगी फसलें प्रभावित होने की संभावनाओं से प्रथम दृष्टया इंकार नही किया जा रहा है। सबसे ज्यादा फसलें लांजी क्षेत्र में प्रभावित हुई है। 
बीज की गुणवत्ता होगी प्रभावित नही मिलेगा बाजार मूल्य 
बारिश की वजह से फसलों की गुणवत्ता प्रभावित होगी जिससे किसानों को उचित बाजार मूल्य नही मिल पाएगा। खेतों में लहलहाती सरसों और अलसी की फसल झमाझम बारिश से लोट गई है, तो दूसरी तरफ नगद फसल पालक, चौलाई, मेथी भाजी के साथ ही टमाटर की फसलें ओलावृष्टि से खराब हो रही है। 
नही मिल रहा उचित दाम
फसलों का बाजार में उचित दाम नही मिल पा रहा है। बारिश के पहले पालक एवं चौलाई तथा मेथी भाजी 25 से लेकर 30 रुपये किलो के दाम बिक रही थी लेकिन पिछले तीन दिनों से 15 से 20 रुपये किलो के दाम में बेची जा रही है। इसी प्रकार टमाटर इन दिनों 10 से 15 रुपये किलो के दाम बिक्री किए जा रहे है। पीडि़त किसानों का कहना रहा कि फसलें खराब होने के बाद उन्हें बेहद ही आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। 
जिले भर में बरसे बदरा
शुक्रवार को सुबह से लेकर अपरान्ह और शाम तक बालाघाट जिला मुख्यालय के अलावा परसवाड़ा, वारासिवनी, कटंगी, लांजी, बैहर, खैरलांजी,  किरनापुर, लालबर्रा, रामपायली समेत जिले भर में बारिश होने की खबर है लेकिन खबर लिखे जाने तक ओलावृष्टि की जानकारी नही मिली है। हालाकि विभागीय अफसरों का भी मानना है कि बे-मौसम बारिश से दलहन एवं नगद फसल को नुकसान पहुंचा है। 
इधर बैहर क्षेत्र के केन्द्रों से उठाव नही होने से भीगीं धान
इधर दूसरी तरफ बे-मौसम बारिश एवं धान खरीदी केन्द्रों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नही होने से मंडई, परसामउ, मजगांव, कुमादेही केन्द्रों में खुलें में भण्डारति धान बारिश में भींगने की खबर है। इसी प्रकार जिले के अन्य केन्द्रों पर भी धान को पानी से बचाने के लिए सिर्फ तिरपाल का ही सहारा लिया गया है।   

फैक्ट फाइल
> जिले में 35 हजार हैक्टेयर में लगी है नगद फसल
> 8 हजार हेक्टेयर में दलहन अरहर फसल
> 12 हजार हेक्टेयर में अलसी
> 11 हजार हेक्टेयर में सरसो
> 13 हजार हैक्टेयर में उसेरा की फसल उड़द के साथ ही अन्य फसलें लगी हुई है।

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