स्कूल नहीं गया - घरवालों की डांट से बचने बच्चे ने गढ़ी अपहरण की झूठी कहानी, क्राइम से जुड़े शो देखकर आया आइडिया
बंक स्कूल नहीं गया - घरवालों की डांट से बचने बच्चे ने गढ़ी अपहरण की झूठी कहानी, क्राइम से जुड़े शो देखकर आया आइडिया
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। 5वीं क्लास में पढ़ रहे स्टूडेंट पर टीवी क्राइम शो का ऐसा असर हुआ कि उसने बना डाली अपने अपहरण की झूठी कहानी। पूछताछ के दौरान पुलिस को जब पता चला कि परिजन की डांट से बचने के लिए उसे मनघड़ंत कहानी गढ़ डाली, तो थाने में मौजूद महिला पुलिसकर्मी ने काफी देर तक उसकी काउंसलिंग की। क्योंकि स्कूल से बंक मारना और उसके बाद परिजन के गुस्से से बचने के लिए झूठी कहानी गढ़ना, छोटी बात नहीं थी।
थानेदार महेश कोंडावार ने कहा कि आज कल के बच्चे टीवी, मोबाइल, इंटरनेट पर क्राइम से जुड़े शो देखते हैं। यह देखकर उनमें इस तरह के कृत्य करने की इच्छा निर्माण होती है। ऐसे में अभिभावकों को मोबाइल, टीवी, इंटरनेट पर बच्चे क्या देख रहे हैं, इस पर ध्यान देना चाहिए।
पडोली पुलिस के सामने ऐसा मामला आया, जिसमें 11 वर्षीय छात्र स्कूल जाने की बजाय घूमने निकल गया। इसके बाद घर वालों की डांट से बचने के लिए खुद के ही अपहरण की झूठी कहानी रच डाली। उसने पुलिस से इस बारे में शिकायत भी की। पुलिस तत्काल हरकत में आ गई। घंटों जगह-जगह सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। जब पुलिस को बच्चे पर संदेह हुआ, तो प्यार से पूछा गया। तब बच्चे ने बताया कि वह स्कूल नहीं गया था। घरवालों की डांट से बचने के लिए उसने खुद के ही अपहरण की कहानी बनाई थी।
लहुजीनगर निवासी छात्र ने 28 जुलाई की दोपहर 2 बजे अपने माता-पिता और रिश्तेदार के साथ थाने पहुंचकर अपहरण की शिकायत की थी। छात्र ने पुलिस को बताया था कि उसे इंदिरा गांधी विद्यालय के पीछे से एक सफेद वाहन में डालकर ले जाया गया। इस वाहन में पहले से ही दो लड़के थे। वह वाहन चंद्रपुर-नागपुर मार्ग की ओर निकला। इस दौरान अचानक पेट्रोल पंप के पास वाहन की स्पीड कम हुई, तो वह और अन्य लड़के गाड़ी से कूदकर घर पहुंच गए। छात्र ने यह घटना घर में बताई, तो माता-पता रिश्तेदार के साथ थाने में शिकायत करने पहुंचे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया। छानबीन शुरू कर दी। लड़के द्वारा बताए गए मार्ग के सभी सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए। लगातार तीन घंटे पुलिस खोजबीन कर रही थी, लेकिन सुराग हाथ न लगा, इस मामले में पुलिस को संदेह हुआ।
थाने में मौजूद एक महिला पुलिस कर्मचारी ने बच्चे को विश्वास में लेकर पूछताछ की, जिससे छात्र ने बताया कि उसने अपहरण की झूठी कहानी रची थी। वह स्कूल नहीं गया था, जिससे घर के लोगों की डांट से बचने के लिए उसने यह अपहरण की कहानी बताई। बताया जा रहा कि छात्र हमेशा क्राइम से जुड़े शो देखता था, जिससे उसे आइडिया मिल गया।
ध्यान देने वाली बात
जानकारों का कहना है कि छात्र अपने माता-पिता को स्कूल जाने की बात कहकर घर से निकलते हैं, लेकिन कई बार बंक मारकर सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्क, मॉल, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल और चिड़िया घर चले जाते हैं। इस दौरान किसी अप्रिय घटना का अंदेशा बना रहता है। इस दौर में बच्चे बहुत समार्ट हैं, उन्हें अच्छे- बुरे की सीख बचपन से ही देनी चाहिए।