मांगों पर अड़े बस संचालक, अब बसों को सरेंडर करने की तैयारी

 मांगों पर अड़े बस संचालक, अब बसों को सरेंडर करने की तैयारी

Bhaskar Hindi
Update: 2020-08-22 12:36 GMT
 मांगों पर अड़े बस संचालक, अब बसों को सरेंडर करने की तैयारी

डिजिटल डेस्क सीधी। शासन के निर्देश बाद भी यात्री बसों का संचालन शुरू नहीं हुआ है। बस मालिक अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। सरकार के मौखिक निर्देश को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। मांगें न मानी जानी पर बसों का संचालन घाटे का सौदा लग रहा है इसीलिए अमल नहीं कर रहे हैं। अब तो बस संचालक बसों को छ: महीने के लिए सरेंडर करने की तैयारी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि यात्री बसों के संचालन से चार सैकड़ा चालक, परिचालक समेत खलासी का काम कर रहे लोगों का रोजगार जुड़ा है। कोरोना के कारण लाकडाउन के शुरूआत से ही बसों का संचालन बंद हुआ तो उसमे काम करने वाले कर्मचारी पूरी तरह से बेरोजगार हो गये हैं। शासन द्वारा निर्देशित किया गया था कि 20 अगस्त से बसों का संचालन निर्धारित रूट पर किया जाय, लेकिन निर्देश का कोई असर नहीं पड़ा है। दरअसल में बस आनर्स एसोसिएशन अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है। जितने महीने बसेंं खड़ी रही बस मालिक उन दिनों का टैक्स नहीं देना चाहते हैं। कमाई नहीं हुई तो टैक्स कहां से भरे यह सवाल भी अहम बना हुआ है। इसके साथ ही डीजल के मूल्य में वृद्धि होने पर किराया बढ़ाने की मांग भी करने लगे हैं। किराया नहीं बढ़ा तो डीजल के खर्चे की भरपाई नहीं हो सकती है। कुल मिलाकर बसों का संचालन घाटे का सौदा लग रहा है इसीलिए बस मालिक बसों का संचालन नहीं कर रहे हैं। हालांकि यूनियन के इतर एक बस सीधी से बयां मझौली होते हुए आ-जा रही है किन्तु अन्य मार्गों में बसें देखने को नहीं मिल रही हैं। सिंगरौली से सतना या फिर नागपुर के लिए भी बस जा रही है किन्तु इससे भी यात्रियों की मुश्किल आसान नहीं हो पा रही है। यात्री बसों का संचालन न होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी मध्यम वर्गीय और निम्न वर्ग के लोगों को हो रही है। बड़े लोग खुद की सुविधा से सफर तो कर रहे हैं किन्तु जिनके पास चार पहिया वाहन की सुविधा नहीं वे या तो आटो का सहारा ले रहे या फिर दो पहिया वाहन में पूरे परिवार के साथ लम्बी दूरी की यात्रा कर रहे हैं। जानकारो की मानें तो सरकार बकाया टैक्स माफी करने के मूड़ में नहीं दिख रही है। इस बात की जानकारी बस मालिको को भी है इसीलिए वे मौखिक निर्देश को तबज्जो नहीं दे रहे हैं। बस मालिको और सरकार के बीच बात न बन पाने का खामियाजा आमजनों को भुगतना पड़ रहा है।
छ:माह के लिए बस सरेंडर करने की उठी मांग
बस आनर्स एसोसिएशन बसों के संचालन को घाटे का सौदा मानकर अब छ: महीने के लिए बस सरेंडर करने की मांग करने लगे हैं। पूर्व में यह प्रावधान रहा है कि निर्धारित प्रपत्र में जानकारी भरकर आरटीओ को देने के बाद बस मालिक मेंटीनेंस के नाम पर माह भर के लिए बस को सरेंडर कर सकते हैं किन्तु अब बसों का तकनीकी खराबी नहीं बल्कि घाटे के सौदे के कारण बसों को छ: माह के लिए सरेंडर करने की मांग की जाने लगी है। सरेंडर अवधि में टैक्स नहीं वसूल किया जाता है। इसी नियम को वे सरकार से बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। जाहिर है बसों का संचालन नहीं भी होगा तो भी टैक्स की भरपाई करनी ही पड़ेगी। सरेंडर करने की अवधि यदि एक माह से ज्यादा की हो गई तो उस अवधि तक टैक्स से राहत मिल सकेगी। जो भी हो बस मालिको द्वारा रखी जाने वाली मांगों का जब तक निराकरण नहीं हो जाता तब तक नहीं लगता कि सड़को पर यात्री बसों को चलते हुए देखा जा सकता है।
डीजल के दाम में हुई बेतहाशा वृद्धि
डीजल-पेट्रोल के दामों में कोरोना काल के समय भी कमी नहीं आई है। जिस समय कीमतों में कमी आनी चाहिए थी उस समय भी डीजल, पेट्रोल के दाम धड़ाधड़ बढ़े हैं। बस आनर्स एसोसिएशन का कहना है कि वर्तमान में डीजल 83 से 84 रूपये मिल रहा है। डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं पर किराया पुराने पैटर्न पर लिया जाएगा तो घाटे के अलावा उनके हाथ कुछ भी नहीं आएगा। इसलिए जरूरी हो गया है कि डीजल के दाम को देखते हुए किराये में भी वृद्धि की जाये ताकि बस मालिक घाटे से बच सकें। बता दें कि वर्तमान समय में इक्का-दुक्का चल रही बसों में बिना किराया वृद्धि के ही मनमानी वसूली की जा रही है। खासकर नागपुर को जाने वाले यात्री बस में पहले जहां 700 से 800 रूपये लगते थे वहीं अब 1200 से ज्यादा रूपये वसूले जा रहे हैं। मजबूरी में सफर करने वाले लोग परिचालको की मांग को पूरा कर रहे हैं। मनमानी किराया आटो, टैक्सी चालक भी वसूल रहे हैं।
इनका कहना है
सरकार ने मौखिक निर्देश दिया था कि बसों का संचालन शुरू किया जाये किन्तु टैक्स माफी, किराया वृद्धि जैसी मांगों पर कोई अमल नहीं किया गया है। मौखिक आश्वासन, निर्देश पर अमल करने का मतलब यह है कि बस मालिक घाटा बर्दाश्त कर बसों का संचालन करें। इसीलिए बसों का संचालन नहीं हो सका है। जब तक मांगें नहीं मानी जाती तब तक अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगा।
जे.एस. मिश्रा महासचिव, बस आनर्स एसोसिएशन
 

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