सवा लाख बच्चों को अभी ऑनलाइन पढ़ाई के भरोसे ही रहना होगा 

 सवा लाख बच्चों को अभी ऑनलाइन पढ़ाई के भरोसे ही रहना होगा 

Bhaskar Hindi
Update: 2020-08-31 12:54 GMT
 सवा लाख बच्चों को अभी ऑनलाइन पढ़ाई के भरोसे ही रहना होगा 

डिजिटल डेस्क सीधी। जिले के सवा लाख बच्चों को अभी और ऑनलाइन पढ़ाई के भरोसे रहना होगा। सितम्बर महीने में स्कूल खुलने की संभावना पर विराम लग गया है। अनलाक-4 की गाइड लाइन में स्कूलों को बंद रखने का निर्देश जारी हुआ है। हायर स्तर के छात्रों को स्कूल में जाकर शिक्षक से परामर्श लेने की छूट तो मिली है पर क्लास इसके बाद भी संचालित नहीं होगी।
गौरतलब है कि लाकडाउन से बंद हुईं स्कूलों के सितम्बर महीने में चालू होने की संभावना बनी हुई थी किन्तु सरकार ने फिर से इन्हे बंद रखने का ही निर्णय जारी रखा है। जिले में सवा लाख के करीब छात्र-छात्राओं को नये निर्देश के बाद ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखनी होगी। प्राथमिक व माध्यमिक स्तर के छात्रों को मोबाइल से पढ़ाने की राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया कितनी कारगर हो रही यह तो छात्र और शिक्षक ही जानते हैं पर आगे की पढ़ाई फिर से ऑनलाइन रखने के कारण घर बैठे छात्रों के मन में जरूर मायूसी पैदा हो गई है। बता दें कि जिले में 40 हजार छात्रों के ऑनलाइन पढ़ाई करने का दावा तो किया जा रहा है पर 10 हजार छात्र भी मोबाइल से पढ़ रहे होंगे कहना मुश्किल ही है। असल में एक तो ग्रामीण क्षेत्रों में सभी छात्रों, अभिभावको के पास मोबाइल नहीं है दूसरे है भी तो कोरोना काल में रिचार्ज की समस्या आड़े आ जाती है। सरकारी स्कूलों में अधिकांश गरीब परिवारों के बच्चों के दाखिला लेने के बाद यह सोच लेना की सभी आधुनिक सुविधा से लैंस होंगे गलत ही होगा। कोरोना काल में जहां रोजी-रोटी की समस्या बनी हुई है वहीं छात्रों को मोबाइल से पढ़ाना काफी कठिन दिख रहा है। हालांकि इसके बाद भी जिला शिक्षा केन्द्र सवा लाख बच्चों में से 40 हजार छात्रों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई करने का दावा किया जा रहा है। इतना ही नहीं स्कूली शिक्षको द्वारा घर-घर जाकर पढ़ाने के आंकड़े भी शासन को भेजे जा रहे हैं। प्राथमिक, माध्यमिक छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने के दावे को तो खुद शिक्षक भी नकार रहे हैं। जिन बच्चों को क्लास में कड़ी निगरानी के बीच पढ़ाना मुश्किल होता रहा है वहीं मोबाइल से डीजीलिप कार्यक्रम को देखकर पढ़ रहे होंगे शिक्षको को भी भरोसा नहीं है। बारिश के मौसम में स्थान का अभाव और कोरोना संक्रमण का भय घरों में कैसे पाठशाला चल रही होगी यह भी जांच का विषय बना हुआ है। 
ठप्प हैं रोजगार के साधन, कैसे हो पढ़ाई
कोरोना और बारिश के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साधन ठप्प पड़े हुए हैं। निर्माण कार्यों में अघोषित ब्रेक लगने के कारण श्रमिक वर्ग रोजी-रोटी के लिए परेशान हैं। अभिभावक बिना काम के घर बैठे हैं और उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। दो वक्त की रोटी के जब लाले हों तब मोबाइल रिचार्ज कराने के लिए पैसे कहां से आएंगे इस पर ऑनलाइन पढ़ाई की योजना बनाने वालों ने विचार नहीं किया है। इतना जरूर है कि शिक्षको के घर पहुंचने पर छात्र उत्साहित होकर किताब पोथी निकाल पढऩे बैठ जाते हैं किन्तु फोटो शेसन के बाद शिक्षक के वापस जाते ही फिर खेल कूद का सिलसिला शुरू हो जाता है। हमारा घर हमारी पाठशाला योजना के तहत छात्रों के यहां सम्पर्क करने जाने वाले शिक्षक भी अभिभावको की मजबूरी देख ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बिना दवाब बनाये ही वापस आ जाते हैं। कुल मिलाकर सरकारी स्कूल के बंद होने के बाद यह माना जाये कि पठन-पाठन प्रभावित नहीं है तो यह गलत ही होगा।
निजी स्कूल वसूल रहे फीस
जिले में संचालित निजी स्कूलों के संचालक लाकडाउन के दौरान बंद रही पढ़ाई का भी पैसा वसूल रहे हैं। मई-जून की फीस पहले भी वसूलते रहे हैं किन्तु कोरोना काल में शासन के निर्देश के बाद भी वसूली करने से बाज नहीं आ रहे हैं। दरअसल में उन छात्रों और अभिभावको को मई-जून की फीस भरनी पड़ रही है जो दूसरे विद्यालय में प्रवेश के लिए छात्रों की टीसी कटा रहे हैं। टीसी काटने में तब तक हीलाहवाली की जाती है जब तक कि फीस नहीं भर दी जाती है। निजी विद्यालयों के घर बैठे शिक्षको को वेतन भुगतान का बहाना बनाकर अवकाश के दिनों की भी फीस वसूली जा रही है। कई जगह तो सरकारी स्कूलों में भी प्रवेश के दौरान शुल्क वसूलने की खबर मिली है। स्कूलों के संचालन में भले ही असमंजस हो पर विद्यालय प्रबंधन अभिभावको की जेब खाली करने में गुरेज नहीं कर रहे हैं।
 

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