20 करोड़ का गोलमाल, ठेकेदार पर एसई मेहरबान, दे रहे हैं बड़े-बड़े काम

 20 करोड़ का गोलमाल, ठेकेदार पर एसई मेहरबान, दे रहे हैं बड़े-बड़े काम

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-18 08:41 GMT
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डिजिटल डेस्क, सिंगरौली (वैढन)। विद्युतीकरण के नाम पर 20 करोड़ के डीएमएफ फंड के गबन के आरोपी ठेकेदारों पर आज तक अधीक्षण अभियंता जीपी तिवारी द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है। उल्टे  इन ठेकेदारों पर इस कदर मेहरबान हो गये हैं कि उन्हें एक के बाद एक नये-नये बड़े कार्य दे रहे हैं। यह आरोप लगाया है मप्र विद्युत कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष नरेन्द्र मिश्रा ने। मिश्रा का आरोप है 20 करोड़ के गबन के इस मामले को लेकर पूर्व एसई ने तो ठेकेदारों की फर्मों को ब्लैक लिस्ट करने का आदेश दिया था। लेकिन उसके बाद ही उनका ट्रांसफर हो गया और तब से मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। सिंगरौली जिला को बिजली कंपनी का सर्किल बनाये जाने के बाद यह उम्मीद जगी थी कि मामला जिले का होने के मद्देनजर यहां के पदस्थ होने वाले एसई इसे गंभीरता से लेंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और एसई तो फर्जीवाड़े के आरोपी ठेकेदारों पर सीधे मेहरबान होकर पहले तो सौभाग्य योजना में करोड़ों रूपये का कार्य दे दिये। इसके बाद अब उसी ठेकेदार को मीटर रीडिंग का कार्य भी दे दिया गया है। ये सभी कार्य गुणवत्तापूर्ण हो रहे हैं कि नहीं। इसे लेकर न तो कोई जांच परख की जा रही है और न ही इन ठेकेदारों के खिलाफ विभाग का कोई कुछ बोल पा रहा है, क्योंकि इन्हें तो सह एसई दे रहे हैं। जबकि इस गंभीर मामले में बिजली कंपनी द्वारा पूर्व में ही कार्यपालन यंत्री मनोज कुमार रौतेल पर निलंबन की कार्रवाई की जा चुकी है। यानि, कंपनी भी मामले में गबन मान चुकी है, लेकिन इसके बाद भी मौजूदा एसई कंपनी की मंशा को दरकिनार कर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे ठेकेदारों को बढ़ावा देने में लगे है। इसलिये श्री मिश्रा ने अब एसई श्री तिवारी को भी पद से तत्काल हटाने की मांग ऊर्जा मंत्री से की है।

शेष भुगतान करने का बनाया जा रहा दवाब

मिश्रा का आरोप है कि 20 करोड़ गबन के मामले में अपूर्ण कार्यो को पूर्ण दिखाकर पहले ही 13 करोड़ रूपये का भुगतान संबंधि ठेकेदारों को किया जा चुका है। अब शेष बचे 7 करोड़ रूपये भुगतान करने के लिये कार्यपालन यंत्री ओएंडएम वैढऩ पर एसई द्वारा पत्राचार के माध्यम से दवाब बनाया जा रहा है। 

ठेकेदार को पहुंचाया जा रहा लाभ

आरोप यह भी है कि अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्री एसटीसी और सहायक यंत्री निर्माण संभाग वैढऩ द्वारा अपूर्ण कार्य को पूर्ण बताकर बिना ट्रांसफार्मर लगाये संबंधित ठेकेदार को 27 लाख का फर्जी भुगतान कर दिया गया है। मामला देवसर ब्लॉक के ग्राम मझिंगवा का है। जबकि ट्रांसफार्मर का भुगतान 8 लाख होना चाहिए। 

इनका कहना है

20 करोड़ के गबन का मामला मेरे कार्यकाल का नहीं है। इसमें जिन भी ठेकेदारों के नाम है, उन्हें फिलहाल जो भी कार्य आवंटित हो रहे हैं वह मेरे स्तर से नहीं किये गये हैं। इस मामले की अभी जांच चल रही है। संभवत: अगले 15 दिनों में जांच पूर्ण हो जाएगी, तो उसमें जो भी स्थिति सामने आयेगी। उसके अनुसार जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। 

- जीपी तिवारी, एसई सिंगरौली सर्किल
 

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