लोकसभा चुनाव: राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना है जौनपुर, 25 मई को उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में होगी कैद
- साढ़े उन्नीस लाख मतदाताओं वाला क्षेत्र
- महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और कांग्रेस में रहे नेता कृपाशंकर सिंह प्रत्याशी
- बीजेपी से मैदान में
डिजिटल डेस्क, जौनपुर। उत्तर प्रदेश का जौनपुर संसदीय क्षेत्र आजकल राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है और स्थानीय राजनीतिज्ञों का इधर उधर जाना जारी है। यहां मतदान के छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है। इस क्षेत्र में यह भी चर्चा जोरों पर है कि यहां कुछ प्रत्याशियों द्वारा धन का जबर्दस्त दुरपयोग किया जा रहा है। लगभग साढ़े उन्नीस लाख मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और कांग्रेस में रहे नेता कृपाशंकर सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है जबकि समाजवादी पार्टी ने राज्य के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को और बहुजन समाज पार्टी ने श्याम सिंह को प्रत्याशी बनाकर चुनाव को त्रिकोणीय बनाने का अथक प्रयास किया है।
भाजपा प्रत्याशी का राजनीतिक कार्य क्षेत्र महाराष्ट्र रहा है परंतु जन्म से वह जौनपुरिया ही हैं। उधर सपा के बाबू सिंह कुशवाहा बांदा के रहने वाले हैं और अब भाजपा एवं सपा दोनों एक दूसरे पर यह आरोप लगा रहे हैं कि उनके प्रत्याशी बाहरी हैं। इन सबके बीच, बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने जब अंतिम समय तक पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी को प्रत्याशी नहीं बनाया तो धनंजय सिंह ने भाजपा को अपना समर्थन दे दिया। इससे भाजपा प्रत्याशी की स्थिति मजबूत हुई। दूसरी तरफ, सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाकर भाजपा के कोर वोट को अपनी तरफ खिसकाने की चाल चल दी।
अब स्थिति यह बन गई है कि भाजपा और सपा के प्रत्याशियों में जबर्दस्त टक्कर दिखाई पड़ रही है। दलित बहुल सीट पर जो भी दल दलित मतदाताओं को अपनी तरफ खींच लेगा उसी की जीत संभव हो सकेगी।
मायावती ने यादव प्रत्याशी को मैदान में उतारा है जबकि यादव मतदाता अधिकतर सपा के समर्थक हैं। बहरहाल, भाजपा और सपा प्रत्याशियों के स्वयं के भी राजनीतिक रूप से दमदार होने के चलते दोनों में जोरदार टक्कर है, जिसकी चर्चा भी क्षेत्र में अच्छी खासी है। विजश्री किसके हाथ लगेगी यह तो चार जून को ही पता चलेगा। लेकिन फिलहाल, जौनपुर के लाेग इस चुनाव में खूब आनंद ले रहे हैं, यह देखने को अवश्य मिल रहा है।