जबलपुर: शर्तें होंगी पूरी तभी काउंसलिंग में हो सकेंगे शामिल
- बीबीए-बीसीए की मान्यता लेने वाले इंजीनियरिंग कॉलेजों को अलग से बताना होगा इंफ्रास्ट्रक्चर
- आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि कॉलेजों में इसके लिए सीटें तय की गई हैं।
- इंस्टीट्यूट फॉर एक्सीलेंस इन हायर एजुकेशन (आईईएचई) में भी इसका संचालन हो रहा है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के तहत आने वाले बीबीए और बीसीए जैसे कोर्स अब इंजीनियरिंग और अन्य प्राइवेट कॉलेज भी शुरू करने जा रहे हैं, लेकिन इन कोर्सेस के लिए काउंसलिंग अब भी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही है।
इस वजह से ऐसे कॉलेज ही काउंसलिंग में शामिल हो सकेंगे, जिनके पास इसके लिए अलग से इंफ्रास्ट्रक्चर है। जबलपुर में ऐसे तकरीबन आधा दर्जन कॉलेज हैं जो इस तरह के कोर्सेस शुरू करने जा रहे हैं। हाल फिलहाल अधिकांश कॉलेज काउंसलिंग में शामिल नहीं हो सके हैं।
दोनों कोर्सेस का सबसे ज्यादा क्रेज
बीबीए ज्यादातर निजी कॉलेजों में संचालित होता है। हालांकि, इंस्टीट्यूट फॉर एक्सीलेंस इन हायर एजुकेशन (आईईएचई) में भी इसका संचालन हो रहा है। जानकारों का कहना है कि हर साल निर्धारित सीटों पर तीन गुना से भी ज्यादा एप्लीकेशन आ रही हैं। इस बार भी यहाँ बीबीए को लेकर छात्रों में सबसे ज्यादा क्रेज है।
कॉलेज में सीटें फिक्स
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि कॉलेजों में इसके लिए सीटें तय की गई हैं। कॉलेज चाहें तो जरूरत के हिसाब से सीटों को घटा-बढ़ा भी सकते हैं। पिछले साल तक उच्च शिक्षा विभाग से जुड़े कॉलेजों में ये कोर्सेस संचालित होते थे लेकिन एआईसीटीई को इनका संचालन ट्रांसफर होने के बाद टेक्निकल कॉलेज भी इसे शुरू करने जा रहे हैं।
अब यहाँ अटक रहे नियम
टेक्निकल कॉलेज काउंसलिंग में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें इन कोर्सेस के लिए अलग से इंफ्रास्ट्रक्चर शो करना पड़ेगा। ऐसे में जिनके पास भले ही एआईसीटीई से मान्यता है और वे उसी कॉलेज में जहाँ उनके टेक्निकल प्रोफेशनल कोर्सेस संचालित होते हैं, वहाँ उन्हें इनको संचालित करने में समस्या आएगी।
सीटें खाली रहने का भी संकट
ऐसी स्थिति में जिन कॉलेजों को देर से मान्यता मिली है या जिन कॉलेजों ने अलग से इन कोर्सेस के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं किया है, उनके सामने समस्या खड़ी हो गई है। जानकारों का कहना है कि ऐसे में सीटों के खाली रहने का संकट भी आ सकता है। इसके साथ ही छात्रों को भी इन कोर्सेस के लिए अधिक फीस देना पड़ सकती है।