जबलपुर: 2017 के बाद से महज पत्राचार में उलझी है वसूली की कार्रवाई

  • होर्डिंग माफिया : अरबों कमाए नगर निगम के 14 करोड़ दबाए!
  • निगम के अधिकारी न तो कुर्की का प्लान बना पाए और न ही बकाया जमा कराने का दबाव बना रहे
  • होर्डिंग्स का बकाया टैक्स और किराया आज तक जमा नहीं करा पाए।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-10 10:44 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नगर निगम राजस्व वसूली के मामले में फिसड्डी है। होर्डिंग माफिया से वर्षों पुराना किराया और टैक्स तक वसूल नहीं पा रहा है। नगर निगम होर्डिंग विभाग के अधिकारी सभी एजेंसियों के पास माँग-पत्र भेजकर चुपचाप बैठ जाते हैं।

इसके आगे कोई कड़ी कार्रवाई की रूपरेखा तक नहीं बनाते हैं। जबकि आमजन से संपदा टैक्स, जलकर वसूलने के लिए कुर्की तक की कार्रवाई का बोर्ड टांग देते हैं। नगर निगम होर्डिंग विभाग से वर्ष 2017 और 2018 में लगे होर्डिंग के टैक्स और किराए के संबंध में जब जानकारी ली गई तो चौंकाने वाले आँकड़े हाथ लगे।

शहरभर में लगे होर्डिंग्स का टैक्स और किराया आज तक होर्डिंग एजेंसियों द्वारा जमा नहीं किया गया। जबकि इन होर्डिंग्स से होर्डिंग एजेंसियों ने अरबों रुपए का मुनाफा कमाया। उन सभी होर्डिंग्स का करीब 14 करोड़ रुपए टैक्स और किराया बन रहा है, जिसे निगम के खजाने में जमा नहीं किए जा रहे हैं।

नगर निगम ऐसे होर्डिंग माफिया पर लगाम लगाने की छूट आज भी दिए हुए है।

होर्डिंग नीति आने के पहले का टैक्स बकाया

शहर के विभिन्न हिस्सों में बिना परमिशन के चाहे जहाँ पर अनाप-शनाप तरीके से दुकान-मकान के ऊपर होर्डिंग्स लगाए गए थे। उन होर्डिंग्स के लगने से न केवल वाहन चालक सड़क दुर्घटना के शिकार हो रहे थे बल्कि मकान-दुकान के आसपास के रहवासियों को खुली हवा नहीं मिल पा रही थी।

इस पर न्यायालय द्वारा संज्ञान लिया गया और होर्डिंग्स हटाने के आदेश दे दिए गए। नगर निगम ने न्यायालय के आदेश पर शहरभर से होर्डिंग्स हटाने की मुहिम शुरू कर दी और निश्चित समय पर अवैध होर्डिंग्स हटा भी दिए। लेकिन उन होर्डिंग्स का बकाया टैक्स और किराया आज तक जमा नहीं करा पाए।

जिन एजेंसियों का लाखों बकाया उन्हें भी यूनीपोल लगाने की मिली है छूट

विडंबना यह है कि जिन होर्डिंग एजेंसियों के द्वारा 6 साल पहले का पुराना बकाया आज तक जमा नहीं किया जा रहा है और वह राशि करोड़ों में है, होर्डिंग माफिया द्वारा बकाया टैक्स जमा करने के संबंध में न तो लिखित और न ही मौखिक रूप से हामी भरी जा रही है।

ऐसे होर्डिंग माफिया को यूनीपोल लगाने की छूट मिली हुई है। कुछ एजेंसियाँ तो धड़ल्ले से यूनीपोल लगाए हुए हैं और उनका भी किराया और टैक्स जमा नहीं कर रहे हैं। समय के साथ उनका टैक्स बढ़ता जा रहा है। ऐसी एजेंसियों पर नगर निगम द्वारा मेहरबानी क्यों दिखाई जा रही है? यह समझ से परे है।

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