Jabalpur News: 70 करोड़ की स्मार्ट सड़कों पर हर तरफ कब्जों की होड़
- गोलबाजार- शहीद स्मारक के चारों तरफ फुटपाथ से लेकर सड़कों तक अतिक्रमण, अराजक हुए हालात, नागरिक परेशान
- मुख्य सड़कों पर 70 करोड़ का बजट खर्च किया गया।
- हर तरह से यहाँ पर स्मार्ट सड़कें कस्बाई रूप में अराजकता का शिकार हैं।
Jabalpur News: शहीद स्मारक गोलबाजार एरिया में सालों की तकलीफों के बाद जैसे-तैसे 70 करोड़ की लागत से मुख्य सड़क के साथ 11 अन्य सड़कें तैयार की गईं। इन सड़कों को पहले इनके निर्माण की गुणवत्ता ने घुन लगा दिया तो अब बची कसर अस्थाई कब्जे पूरी कर रहे हैं। किसी भी हिस्से से गोलबाजार एरिया में प्रवेश कर जाइए बस अस्थाई कब्जे और सीमेण्टेड सड़क की उधड़ी परतें दिखाई देती हैं।
सड़क की क्वाॅलिटी तो अब किसी तरह से सुधारी नहीं जा सकती है, कम से कम जो सड़कें घालमेल के बाद बन चुकी हैं उन्हें ही आम आदमी के लिए निकलने लायक बनाये रखा जाए तो वह भी नहीं हो पा रहा है। रानीताल चौक से इस एरिया में प्रवेश करें तो सामने ही बाँस-बल्ली के कब्जे, पाॅलीथिन और कपड़ों से लिपटी गुमटी या अन्य इसी तरह के अतिक्रमण हैं। इसी तरह मालवीय चौक एरिया से जाएँ तो एकदम सामने ही शहीद स्मारक के मुख्य गेट के नजदीक कब्जों की बाढ़ है। हर तरह से यहाँ पर स्मार्ट सड़कें कस्बाई रूप में अराजकता का शिकार हैं।
बड़ा बजट चौपट और नतीजा शून्य निकला
मुख्य सड़कों पर 70 करोड़ का बजट खर्च किया गया। आसपास की एक-दो सड़कों को मिला दिया जाए तो बजट 100 करोड़ के करीब तक खर्च हुआ। इसमें भी सालों की मुसीबत यहाँ पर जनता ने झेली लेकिन सालों मुसीबत झेलने के बाद भी जनता के हिस्से में सिर्फ और सिर्फ परेशानी है। सड़कों का ऐसा हाल है कि मुख्य हिस्से में तो वाहन सड़क पर पार्क किये जा रहे हैं जिसमें 40 से 50 प्रतिशत हिस्सा पार्किंग में ही निकल जाता है। पूरे एरिया में अपनी सुविधा के अनुसार अतिक्रमण किये जा रहे हैं।
मेंटेनेंस कैसे होगा यह सोचा ही नहीं
जानकारों का कहना है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अंडर ग्राउंड सिस्टम के साथ सड़कें बना जरूर दी गई हैं पर इनका भविष्य के नजरिए से मेंटेनेंस कैसे होगा इस प्लान में सोचा ही नहीं गया है।
अब सड़क के चैम्बर यहाँ-वहाँ खुले हैं, कहीं सड़क की ऊपरी परत गायब हो रही है तो कहीं पर नालियों को फिर से खोदा जाने लगा है। कई तरह से सड़कों की दुर्दशा हो रही है पर इनको कोई देखने वाला ही नहीं है। लोगों का कहना है कि सड़कों से अस्थाई कब्जे न हटाना उसी का नतीजा है।