जबलपुर: 11वीं के छात्रों को चाहिए देववाणी, टीचर बोल रहे इट्स नॉट अवेलेबल

  • हाईस्कूल का परिणाम आने के बाद कई छात्रों ने अपने ऑप्शनल विषय में संस्कृत का चुनाव किया है।
  • कई छात्र सामने आए हैं जिन्हें संस्कृत विषय चुनने पर विरोध का सामना करना पड़ा।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-12 13:02 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले कई छात्र ऐसे भी हैं जिन्हें 11वीं में संस्कृत विषय चाहिए। हैरानी वाली बात यह है कि ऐसे विद्यार्थियों को संस्कृत के बदले अंग्रेजी विषय चुनने के लिए बाध्य किया गया।

किसी तरह से मामला लोक शिक्षण संचालनालय तक जा पहुँचा। अब मुख्यालय ने नाराजगी जाहिर करते हुए डीईओ को ऐसे मामलों पर लगाम कसने के फरमान जारी किए हैं। भले ही अब संस्कृत का उतना बोलबाला न हो लेकिन देववाणी का क्रेज अभी खत्म भी नहीं हुआ है।

हाईस्कूल का परिणाम आने के बाद कई छात्रों ने अपने ऑप्शनल विषय में संस्कृत का चुनाव किया है। ऐसे कई छात्र सामने आए हैं जिन्हें संस्कृत विषय चुनने पर विरोध का सामना करना पड़ा। कई स्कूलों में विषय होने के बावजूद छात्रों को संस्कृत न देने की बात भी सामने आई है।

जबलपुर में एक सैकड़ा हायर सेकेण्डरी स्कूल हैं इनमें से सिर्फ तीन स्कूल बरगी, पनागर और करौंदी ग्राम में संस्कृत का ऑप्शन है। शेष स्कूलों में संस्कृत विषय नहीं है।

अब संचालनालय के डायरेक्टर केके द्विवेदी ने जिला शिक्षा अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा है कि इस तरह के मामले सामने आना अपने आप में हैरानी भरा है। किसी भी छात्र को उसकी पसंद के अनुसार विषय चयन करने का अवसर दिया जाना चाहिए।

डीईओ को निर्देशित किया गया है कि सभी प्राचार्यों को इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए जाएँ, साथ ही मॉनीटरिंग भी की जानी चाहिए।

अंग्रेजी-संस्कृत में से कोई एक

11वीं में किसी भी ब्रांच में जाने वाले विद्यार्थी के सामने दो तरह के विकल्प होते हैं। छात्र ग्यारहवीं से अपने मुख्य विषय के साथ अंग्रेजी अथवा संस्कृत में से किसी एक का चयन कर सकता है।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि आगे की पढ़ाई के लिए अंग्रेजी विषय काफी जरूरी माना गया है। संस्कृत का स्कोप बेहद सीमित है। यही वजह है कि शिक्षक अपने छात्रों के लिए संस्कृत की बजाय अंग्रेजी विषय पर जोर देते हैं।

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