जिला अस्पताल के हालात, एसएनसीयू की कब सुधरेगी व्यवस्था, एक वॉर्मर में तीन शिशुओं को रखकर दे रहे इलाज
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में बीस बेड की क्षमता वाले एसएनसीयू में संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल पेशेंट की संख्या बढऩे पर एक वॉर्मर मशीन में दो या तीन बच्चों को भर्ती कर इलाज दिया जा रहा है। इस विषम परिस्थिति और सीमित संसाधनों में भी डॉक्टर और यूनिट स्टाफ शिशुओं की जान बचाने प्रयासरत है।
गौरतलब है कि गायनिक में रोजाना तीस से चालीस डिलवेरी होती है। जन्म के बाद कई बच्चे काफी कमजोर या गंभीर बीमारी से ग्रसित होते है, उन्हें एसएनसीयू में रखकर इलाज दिया जाता है। इसके अलावा जिले के अन्य डिलेवरी पाइंटों से गंभीर नवजात रेफर कर एसएनसीयू भेजे जाते है। इसकी वजह से रोजाना लगभग ५५ से ६० बच्चे यूनिट में भर्ती रहते है। ऐसे में एक वॉर्मर पर दो से तीन बच्चों को रखकर इलाज दिया जा रहा है।
गंभीर बच्चों को वॉर्मर में रखना जरुरी-
जन्म से कमजोर, पीलिया और अतिगंभीर बीमारियों से पीडि़त शिशुओं को एनएनसीयू में रखा जाता है। शिशुओं को वॉर्मर मशीन में रखकर इलाज दिया जाता है। यूनिट में क्षमता से अधिक शिशुओं के भर्ती होने से उनकी देखरेख में भी स्टाफ को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यूनिट में जरुरी सामग्रियों की खपत बढ़ी-
यूनिट में बेड की क्षमता के हिसाब से शिशुओं के लिए डायपर, सीरिंज समेत अन्य जरुरी सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। तीन गुना अधिक शिशुओं के भर्ती होने से जरुरी सामग्री की खपत भी बढ़ गई है। शासन से अभी सिर्फ बीस बेड की क्षमता के हिसाब से बजट दिया जा रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी-
पेशेंट बढऩे से एक वॉर्मर में दो या तीन बच्चों को रखकर इलाज दिया जा रहा है। यूनिट में आने वाले हर नवजात को भर्ती कर बेहतर इलाज देने पूरा स्टाफ प्रयासरत है।
डॉ. अंशुल लाम्बा, प्रभारी, एसएनसीयू