पीएम आवास के पैसों से खरीद ली मोटर साइकिल, कोरोना में खर्च कर दिए, अब मकान बनाने में आनाकानी
प्रधानमंत्री आवास योजना में पैसा लेकर मकान नहीं बनाने वाले हितग्राहियों की लंबी सूची तैयार हो गई है। पिछले दिनों हुई समीक्षा के बाद निगम के अधिकारियों की टीम जब हितग्राहियों के घरों में पहुंची तो अजीब किस्से सामने आए। किसी ने पीएम आवास की राशि से मोटर साइकिल खरीद ली तो किसी ने बताया कि कोरोना के इलाज में राशि खर्च हो गई। कोई ये कहकर मकान बनाने से इंकार कर रहा है कि इतनी महंगाई में महज ढाई लाख रुपए में मकान बनाना मुश्किल साबित हो रहा है। ऐसे एक दो नहीं बल्कि १९७ प्रकरण है। जिनसे वसूली में अब निगम अधिकारियों को भी पसीना छूट रहा है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक लाख रुपए की राशि हितग्राहियों को प्रथम किश्त के रूप में दी गई थी। नियमों के तहत हितग्राहियों को राशि प्राप्त होने के एक माह के भीतर काम करना था, लेकिन सालों बाद भी काम अधूरा पड़ा है। पिछले दिनों जब निगम की टीम हितग्राहियों के घरों में पहुंची तो कारण सुनकर वे भी दंग रह गए। किसी ने कहा कि पैसों से मोटर साइकिल खरीद ली तो किसी ने कहा कि कोरोना के दौरान इलाज में राशि खर्च हो गई। अधिकारियों के सामने एक से एक किस्से सामने आए हैं। अब स्थिति ये हैं कि शासन का स्पष्ट कहना है कि मकान का काम शुरु करवाने पर जोर दे, लेकिन बार-बार अल्टीमेटम् जारी करने के बाद न तो काम शुरु कर रहे हैं और न ही राशि निगम को लौटाने के लिए तैयार है।
पहले २५१ नाम किए थे चिन्हित
नगर निगम ने पहले बनाई सूची में २५१ नाम चिन्हित किए थे। जिन्हें नोटिस जारी करते हुए अधिकारियों ने एक-एक हितग्राही के यहां जाकर काम शुरु करवाने की कोशिश की, लेकिन इनमें से महज ५४ हितग्राही काम शुरु कर पाए, बाकी १९७ हितग्राहियों ने काम शुरु करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। अधिकारियों ने बनाई रिपोर्ट में एक-एक हितग्राही के मकान नहीं बनाने का कारण दर्ज किया है।
पांच साल पहले लिया पैसा, लेकिन उसके बाद भी नहीं बनाया मकान
पांच साल पहले हितग्राहियों ने मकान बनाने के लिए राशि निगम से ली थी, लेकिन इसके बाद भी मकान का निर्माण कार्य शुरु नहीं किया। पांचवी और छटवीं डीपीआर के प्रकरण भी १९७ प्रकरणों की सूची में शामिल है। कोरोना काल के पहले के प्रकरण भी इस सूची में शामिल है। जिनसे निगम न तो वसूली कर पाया और न ही मकान शुरु कर पाया।
तहसीलदार को सौंपी जाएगी सूची
जिन हितग्राहियों द्वारा बार-बार नोटिस जारी करने के बाद भी राशि जमा नहीं की जा रही हैं। उनकी सूची तहसीलदार को वसूली के लिए सौंपी जाएगी। तहसीलदार इन सभी हितग्राहियों से या तो राशि वसूल करेंगे या फिर कुर्की की कार्रवाई करेंगे। हालांकि अधिकारियों का पहला उद्देश्य मकान निर्माण शुरु करवाना है।
इनका कहना है...
- पहले कोशिश की जा रही है कि हितग्राहियों से काम शुरु करवाया जाए, उसके बाद भी यदि काम शुरु नहीं करते हैं तो वसूली की कार्रवाई तहसीलदार के माध्यम से की जाएगी।
-विवेक चौहान
सहायक यंत्री, नगर निगम