भोपाल: स्वास्थ्य विभाग के बाबू दहायत को नकली दस्तावेज पेश करने पर आयोग ने लगाया 15 हजार का जुर्माना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। नर्सिंग होम शाखा के बाबू प्रभारी सोनू दहायत ने 25 हजार के जुर्माने से बचने के लिये होशियारी दिखाई पर उसकी चालाकी सूचना आयुक्त राहुल सिंह के सामने नही चल पाई। उन्होंने तुरंत इसे पकड़ लिया, उन्हें जांच में यह पता चला कि इसमें फर्जीवाड़ा किया गया है।
गौरतलब है कि आरटीई के तहत लगने वाले 25000 के जुर्माने से बचने के चक्कर में एक बाबू के अपने ही अधिकारी को एक बाबू ने नोटशीट पेश कर लापरवाही का ठिकरा सीएमएचओ के उपर फोड़ दिया। लेकिन सूचना आयुक्त राहुल सिंह की जांच में यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। आयोग ने नकली दस्तावेज पेश करने वाले बाबू के विरुद्ध ही ₹15000 का जुर्माना लगा दिया।
दरअसल रीवा जिले के एडवोकेट वृंदावन शुक्ला ने सीएमएचओ कार्यालय रीवा से जिले में संचालित सभी नर्सिंग होम की सूची मांगी थी और साथ ही नर्सिंग होम के संचालन की अनुमति के शर्तों की जानकारी भी चाही थी। आरटीआई मार्च 2022 मे दायर हुई थी और कानून के अनुरुप 30 दिन में जानकारी मिल जानी चाहिए थी। आरटीआई आवेदन में जानकारी नहीं मिलने पर वृंदावन शुक्ला ने क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य रीवा के पास प्रथम अपील दायर की। क्षेत्रीय संचालक ने भी जानकारी को 5 दिन में देने के आदेश जारी किए। पर इसके बात भी जानकारी वृंदावन शुक्ला को नहीं मिली तो शुक्ला ने सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर।
आयोग में तलब करने पर डॉक्टर मिश्रा ने बताया कि जानकारी देने में उनकी ओर से लापरवाही नहीं की गई बल्कि उन्होंने समय सीमा में ही नर्सिंग होम शाखा के बाबू प्रभारी सोनू दहायत को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया था। प्रमाण के तौर पर डॉक्टर मिश्रा ने सोनू को जारी पत्र भी आयोग के समक्ष रख दिया।
बाबू ने उलटे सीएमएचओ को फंसा दिया
डॉ एन एन मिश्रा के द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्य और कथन के बाद आयोग ने नर्सिंग होम शाखा के प्रभारी सोनू के विरुद्ध ₹25000 जुर्माने का कारण बताओं नोटिस जारी किया। अपनी सफाई में सोनू दहायत ने आयोग के समक्ष एक नोटशीट रखी और दावा किया कि लापरवाही उसकी ओर से नहीं बल्कि डॉक्टर न मिश्रा की तरफ से हुई है। सोनू ने कहा कि उसने समय-सीमा में ही डॉक्टर मिश्रा को जवाब प्रेषित किया गया था और जानकारी समय पर आरटीआई आवेदक को उपलब्ध नहीं करने के लिए डॉक्टर मिश्रा ही जिम्मेदार हैं।
ऐसे हुआ खुलासा
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने नोटशीट की जांच की तो पाया कि नोटशीट को सफेद कागज पर तैयार किया गया है। उसपर मात्र सोनू के हस्ताक्षर थे इसके अतिरिक्त नोटशीट की ओरिजिनल कॉपी आयोग में जमा की गई। जबकि ऑफिस रिकॉर्ड से कभी भी ओरिजिनल कॉपी आयोग में जमा नहीं की जाती है उसकी प्रतिलिपि आयोग में जमा की जाती है। ओरिजिनल कॉपी आयोग के पास होने का मतलब है की वह नोटशीट सीएमएचओ कार्यालय के रिकॉर्ड में नहीं है।