महिला सशक्तिकरण: भारत डॉयलॉग्स के मंच पर सम्मानित हुए भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी और एडिटर–इन-चीफ उपेन्द्र राय, महिला सशक्तिकरण का दिया संदेश
- सनातम धर्म में महिलाओं का विशेष स्थान
- स्त्री पैदा नहीं होती उसे बना दिया जाता है
- जिस संस्कृति में औरतों का योगदान नहीं, वहां परमाणु युद्ध होंगे
- निर्णय लेने के लिए दूसरों पर आश्रित ना रहें महिलाएं
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘भारत डायलॉग्स वुमेंस एंड मेंटल हेल्थ समिट एंड अवार्ड्स (WMHSA) 2024’ का आयोजन किया गया, जिसमें भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी और एडिटर–इन-चीफ उपेन्द्र राय को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल होकर सीएमडी उपेन्द्र राय ने महिला सशक्तिकरण पर अपने विचार साझा किया।
सनातम धर्म में महिलाओं का विशेष स्थान
सीएमडी उपेन्द्र राय ने अपने संबोधन के दौरान सनातन धर्म में महिलाओं के महत्व को दर्शाया। उन्होंने कहा कि कहीं भी ईश्वर की कल्पना अगर की गई तो सिर्फ पुरुष के रूप में की गई, लेकिन इकलौता सनातन धर्म है, जहां ईश्वर की कल्पना अर्धनारीश्वर के रूप में है। ईश्वर आधे पुरुष हैं और आधी स्त्री भी हैं।
स्त्री पैदा नहीं होती उसे बना दिया जाता है
सीएमडी उपेन्द्र राय ने आगे अपने संबोधन में सिमोन द बोउआर की लिखी किताब ‘सेकेंड सेक्स’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब ‘सेकंड सेक्स’ किताब आई तो पूरी दुनिया में तहलका मच गया और सिमोन का एक वाक्य कि स्त्री पैदा नहीं होती उसे बना दिया जाता है। सिमोन ने उस किताब में बहुत एलेबोरेट करके लिखा कि जब पुरुष और स्त्री पैदा होते हैं तो दोनों प्राणी होते हैं, लेकिन स्त्रियों की ड्यूटी पहले से फिक्स्ड है। पुरुष की वैसी फिक्स ड्यूटी नहीं है। श्री राय ने किताब को भारतीय समाज से जोड़ते हुए कहा कि हमारे देश में भी महिला की शादी होने के बाद उसे पत्नी और पुरूष को पति का दर्जा दे दिया जाता है। पति का शाब्दिक अर्थ है मालिक। समाज में वर्षों तक माना जाता रहा कि पति यानि पत्नी का मालिक। उन्होंने कहा कि समाज को इस सोच से आगे बढ़ना होगा।
जिस संस्कृति में औरतों का योगदान नहीं, वहां परमाणु युद्ध होंगे
चेयरमैन उपेन्द्र राय ने इसी कड़ी में आगे बताया, ‘मैं मानता हूं कि इस सभ्यता के विकास में औरतों का योगदान बहुत कम लिया गया और जिस व्यवस्था में, जिस संस्कृति में औरतों के योगदान को कम लिया जाएगा और पुरुषों द्वारा रची हुई दुनिया बनाई जाएगी. वहां पर परमाणु युद्ध होकर रहेंगे. वहां पर महाभारत होकर रहेगा. क्यों, क्योंकि काम करने के लिए जहां पर औरतों को फ्री-हैंड दे दिया जाता है, मैं मानता हूं कि वहां सामंजस्य अपने आप बहुत गहरा बैठ जाता है. जहां पुरुषों को आगे कर दिया जाए वहां पर विद्वेष और ईर्ष्या और लड़ने के तमाम तरीके पहले से तैयार हो जाते हैं।’
निर्णय लेने के लिए दूसरों पर आश्रित ना रहें महिलाएं
भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने अपने संबोधन में डॉ राम मनोहर लोहिया द्वारा लिखी किताब का जिक्र करते हुए बताया, “जैसा कि कहा जाता है कि एक युद्ध का काल होता है और एक युद्ध शांति का काल होता है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया बहुत अच्छी बात कहा करते थे। उन्होंने द्रौपदी पर 9 वॉल्यूम में एक किताब लिखी है और वैसी अद्भुत किताब औरतों के बारे में मैंने अभी तक अपने जीवन में नहीं पढ़ी है। डॉक्टर राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि भारत विकास कैसे करेगा। जहां की आधी से ज्यादा आबादी गुलाम है. वह पुरुषों के मन के बिना कदम भर भी नहीं चल सकती. उन्होंने तो यहां तक कहा कि मेरे मित्र बिड़ला जी की पत्नी भी उनकी गुलाम हैं। वह भी बिड़ला जी की मर्जी के खिलाफ कोई निर्णय नहीं ले सकती थीं.’ इसका मतलब महिला अमीर हो या गरीब उस दौर में हर महिला अपने निर्णय के लिए पति पर आश्रित रही और इसी वजह से समाज का विकास बाधित रहा।
सीएमडी उपेन्द्र राय ने बड़ा सवाल उठाया कि, “अगर हमारी आधी आबादी पैरालाइज रहेगी, अधिकार हीन रहेगी, शक्तिहीन रहेगी, तो उन्हीं के कोख से जन्म लेकर हम सबल कैसे हो सकते हैं। महिला दिवस पर आयोजित भारत डॉयलॉग्स के कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। इस दौरान समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर विस्तृत चर्चा भी की गई।