RBI MPC Meet 2024: रिजर्व बैंक ने ब्याज दारों में नहीं किया कोई बदलाव, नहीं बढ़ेगी आपके लोन की EMI
- आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने फैसले की घोषणा की
- नीतिगत ब्याज दरें 6.50 फीसदी पर बरकरार रहेंगी
- 6 में से 5 सदस्य रेपो रेट को यथावत रखने के पक्ष में थे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक विचार-विमर्श के बाद आज (08 फरवरी 2024) खत्म हुई। गुरुवार सुबह आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी के फैसले की घोषणा की। जिसके अनुसार, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक में लिए गए निर्णयों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, रेपो रेट में कटौती नहीं की गई है इसलिए नीतिगत ब्याज दरें 6.50 फीसदी पर बरकरार रहेंगी। बैठक में मौजूद 6 में से पांच सदस्य रेपो रेट को यथावत रखने के पक्ष में थे।
आपको बता दें कि, आरबीआई ने लगातार छठवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इसी के साथ रेपो दर 6.5 फीसदी पर स्थिर रहने का पूरा एक वर्ष पूरा हो गया है। केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार 8 फरवरी, 2023 को रेपो दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था।
जीडीपी का ग्रोथ अनुमान जारी किया
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने जीडीपी के ग्रोथ अनुमान भी जारी किया। उन्होंने कहा कि, सरकार और सेंट्रल बैंक के प्रयासों से महंगाई दर में कमी आई है। वित्त वर्ष 2024 के लिए रीयल GDP का ग्रोथ अनुमान 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.3 फीसदी करने का फैसला किया है। दास ने कहा कि, घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। FY25 में ग्रोथ की रफ्तार बरकरार रहेगी, FY25 के लिए GDP ग्रोथ 7% रहने का अनुमान है।
क्या हैं रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट
आरबीआई जिस रेट पर कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट का असर आम लोगों द्वारा बैंकों से लिए गए लोन की ईएमआई पर देखने को मिलता है। यदि रेपो रेट में कटौती होती है तो इसका मतलब है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है। वहीं अगर रेपो रेट में इजाफा होता है तो कार और होम लोन की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाती है। वहीं बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर जिस रेट पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है। बैंकों के पास जो अतिरिक्त कैश होता है उसे रिजर्व बैंक के पास जमा करा दिया जाता है। इस पर बैंकों को ब्याज भी मिलता है।