क्या होता है उस व्यक्ति की प्रॉपर्टी का, जिसकी मौत बिना विल के हो जाती है?
क्या होता है उस व्यक्ति की प्रॉपर्टी का, जिसकी मौत बिना विल के हो जाती है?
- कई बार विल दस्तावेजों के अभाव में
- यह पारिवारिक विवाद बन जाता है
- प्रॉपर्टी में शेयर आवंटित किए बिना प्रॉपर्टी मालिक की मौत होने पर क्या होता है
- भारतीय अदालतों में करोड़ों की संपत्ति के मामले लंबित हैं
डिजिटली डेस्क, मुंबई। प्रॉपर्टी में शेयर आवंटित किए बिना अगर प्रॉपर्टी मालिक की मौत हो जाती है तो क्या होता है? प्रॉपर्टी का विभाजन एक जटिल मुद्दा है। भारतीय अदालतों में करोड़ों की संपत्ति के मामले लंबित हैं। कई बार वसीयतनामा दस्तावेजों के अभाव में, यह पारिवारिक विवाद बन जाता है। विल एक कानूनी दस्तावेज है जो किसी व्यक्ति को यह निर्णय लेने की अनुमति देता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का प्रबंधन कैसे किया जाएगा।
क्या होता है जब कोई व्यक्ति बिना विल के मर जाता है?
वसीयत लिखने में देरी करना हमारी प्रवृत्ति है क्योंकि यह कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है। हालांकि, पारिवारिक विवाद के मामले में यह दस्तावेज़ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सुप्रीम कोर्ट के वकील आरके सिंह बताते हैं कि "यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो संपत्ति को सभी कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच समान शेयरों में विभाजित किया जाता है। मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के बाद अथॉरिटी एक नोटिस जारी करता है और कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति के विभाजन से पहले प्रॉपर्टी पर किसी भी दावे की मांग करता है। विवाद की स्थति में मामले का समाधान कोर्ट में निकलता है जिसमें कई साल लग जाते हैं।"
दिल्ली हाईकोर्ट के वकील निखिल आर्य कहते हैं "भारत में, किसी व्यक्ति का जीवन और मृत्यु उसके पर्सनल और रिलीजियस लॉ द्वारा नियंत्रित होता है। इसलिए, प्रॉपर्टी को हिंदू उत्तराधिकार या मुस्लिम उत्तराधिकार कानूनों आदि के अनुसार वितरित किया जाता है। हालांकि, भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो प्रॉपर्टी को उसके जीवित कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाता है। उदाहरण के लिए: यदि एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसके परिवार में उसकी पत्नी, एक पुत्र और एक पुत्री है, तो उसकी प्रॉपर्टी उन तीनों के बीच समान रूप से विभाजित की जाएगी।"
प्रॉपर्टी का विभाजन
एक व्यक्ति जब अपनी वसीयत बनाता है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी प्रॉपर्टी में किसे क्या मिलेगा। हालांकि, वसीयत बनाना कानून के अनुसार अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के वकील बिट्टू के सिंह कहते हैं "यदि कोई व्यक्ति वसीयत किए बिना मर जाता है, तो उसके सभी कानूनी उत्तराधिकारियों को संयुक्त रूप से प्रॉपर्टी का बराबर बंटवारा करने के लिए एक उत्तराधिकार मुकदमा दायर करना होगा। वसीयत के बिना आपके उत्तराधिकार की स्थिति कमजोर और अस्पष्ट हो जाती है, जो अक्सर पारिवारिक विवादों का कारण बनता है। प्रॉपर्टी का विभाजन हिंदू, मुस्लिम और प्रॉपर्टी अधिनियम 1882 के तहत किए जाते हैं।
कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति के शेयरों को वितरित करने के लिए कानूनी दस्तावेज आवश्यक है। अक्सर हम इस महत्वपूर्ण दस्तावेज को बनाने में देरी करते रहते हैं। आप अपने जीवनकाल में कभी भी विल को बदल भी सकते हैं, लेकिन मृत्यु के बाद, यह दस्तावेज़ आपकी संपत्ति के पारस्परिक विभाजन के लिए आपके कानूनी उत्तराधिकारियों के लिए बहुत मायने रखता है।