रेस्तरां, होटलों की ओर से अतिरिक्त सेवा शुल्क वसूलने की मिल रही काफी शिकायतें: केंद्र
नई दिल्ली रेस्तरां, होटलों की ओर से अतिरिक्त सेवा शुल्क वसूलने की मिल रही काफी शिकायतें: केंद्र
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि उत्पाद के मूल्य निर्धारण में वस्तु एवं सेवा (गुड्स एंड सर्विसेज) दोनों घटक शामिल होते हैं, लेकिन राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को उपभोक्ताओं की सहमति के बिना उनके बिल में रेस्तरां और होटलों द्वारा सेवा शुल्क जोड़ने के संबंध में काफी शिकायतें मिली हैं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, सेवा का एक घटक रेस्तरां या होटल द्वारा पेश किए जाने वाले खाद्य और पेय पदार्थों की कीमत में निहित है। उत्पाद का मूल्य निर्धारण इस प्रकार दोनों वस्तुओं और सेवाओं के घटक को कवर करता है। होटल या रेस्तरां पर उन कीमतों को निर्धारित करने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है, जिन पर वे उपभोक्ताओं को भोजन या पेय पदार्थ देना चाहते हैं।
मुकदमे से पहले के चरण में, उपभोक्ता राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करा सकता है। वर्ष 2019-20 के दौरान राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में सेवा शुल्क लगाने के संबंध में कुल 658 शिकायतें दर्ज की गईं। वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान क्रमश: 99 और 413 ऐसी शिकायतें दर्ज की गईं। सभी शिकायतों का निपटारा या तो संबंधित होटल या रेस्तरां द्वारा प्रदान किए गए रिजॉल्यूशन के साथ या उपभोक्ता को उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने की सलाह के साथ किया गया है।
मंत्री ने जवाब में कहा कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने होटल और रेस्तरां द्वारा सेवा शुल्क लगाने के संबंध में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर प्राप्त होने वाली ऐसी शिकायतों का संज्ञान लेते हुए, 4 जुलाई, 2022 को होटल और रेस्तरां में सेवा शुल्क लगाने के संबंध में अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
मंत्री गोयल ने अपने जवाब में आगे कहा, सीसीपीए द्वारा जारी दिशानिर्देश यह निर्धारित करते हैं कि होटल और रेस्तरां खाद्य बिल में स्वचालित रूप से या डिफॉल्ट रूप से सेवा शुल्क नहीं जोड़ेंगे और उपभोक्ता को स्पष्ट रूप से सूचित करना होगा कि सेवा शुल्क स्वैच्छिक, वैकल्पिक और उपभोक्ता के विवेक पर है। ये दिशानिर्देश किसी उपभोक्ता को सेवारत कर्मचारियों को स्वेच्छा से टिप देने (सर्विस से खुश होकर अपनी मर्जी से कुछ पैसे देना) पर रोक नहीं लगाते हैं।
(आईएएनएस)
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