Notice : सुप्रीम कोर्ट का टेलिकॉम कंपनियों को नोटिस, पूछा- क्यों न हो अवमानना की कार्यवाही?
Notice : सुप्रीम कोर्ट का टेलिकॉम कंपनियों को नोटिस, पूछा- क्यों न हो अवमानना की कार्यवाही?
- SC ने कहा
- कंपनियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए?
- सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी कर 17 मार्च को कोर्ट में तलब किया गया है
- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दूरसंचार कंपनियों और उनके निदेशकों को नोटिस जारी किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दूरसंचार कंपनियों और उनके निदेशकों को नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा गया है कि वे यह बताएं कि विभाग को 1.47 लाख करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (AGR) का भुगतान करने के लिए उसके आदेश का पालन नहीं करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए? टेलिकॉम कंपनियों के MDs को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी कर 17 मार्च को कोर्ट में तलब किया गया है। सुप्रीम कोर्ट की इस सख्ती के बाद वोडा आइडिया के शेयरों में 12 फीसदी से अधिक की गिरावट देखी गई।
आदेश वापस नहीं लिया तो अधिकारी को जेल
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह भी कहा कि वह टेलिकॉम कंपनियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न करने के लिए अपने डेस्क अधिकारी के पारित एक आदेश को तुरंत वापस ले। यह नोट किया गया कि यदि एक घंटे के भीतर आदेश वापस नहीं लिया जाता है तो संबंधित अधिकारी को जेल भेज दिया जाएगा। जस्टिस मिश्रा ने कहा, DoT ने यह नोटिफिकेशन कैसे जारी किया कि अभी भुगतान ना करने पर कंपनियों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। ये सब बकवास है, क्या सरकारी डेस्क अफसर सुप्रीम कोर्ट से बढ़कर है जिसने हमारे आदेश पर रोक लगा दी।
अपने AGR आदेश का पालन न करने पर कोर्ट ने कहा, "हमें नहीं मालूम कि कौन ये बेतुकी हरकतें कर रहा है, क्या देश में कोई कानून नहीं बचा है? बेहतर है कि इस देश में न रहा जाए और देश छोड़ दिया जाए। हमने एजीआर मामले में समीक्षा याचिका खारिज कर दी, लेकिन इसके बाद भी एक भी पैसा जमा नहीं किया गया। इससे पहले कोर्ट ने 23 जनवरी तक बकाया जमा करने का आदेश जारी किया था।
किस कंपनी पर कितना बकाया
भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज सहित दूरसंचार ऑपरेटरों ने जनवरी में SC का रुख किया था, जो AGR मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को संशोधित करने की मांग कर रही थी। अदालत ने पहले ही अपने पहले के आदेश की समीक्षा करने की याचिका को खारिज कर दिया है। वोडा आइडिया पर DoT का 50,000 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि भारती एयरटेल को 35,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। टाटा टेलीसर्विसेज, जिसने एयरटेल को अपना मोबाइल सेवा व्यवसाय बेचा, पर लगभग 14,000 करोड़ रुपये का बकाया है।
अक्टूबर 2019 में SC ने दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट का एजीआर पर फैसला अक्टूबर 2019 में आया था। सरकार का पक्ष यह था कि टेलीकॉम कंपनियों की सालाना एजीआर की गणना करने में गैर टेलीकॉम कारोबार से होने वाली आय को भी जोड़ा जाए। कोर्ट ने सरकार के पक्ष को मंजूरी दी थी। सालाना एजीआर के ही एक हिस्से का भुगतान टेलीकॉम कंपनी लाइसेंस और स्पेकट्रम शुल्क के रूप में करती है। इस फैसले का सबसे बुरा असर वोडाफोन इंडिया लिमिटेड पर पड़ा। Reliance Jio एकमात्र कंपनी है जिसने अपना बकाया 60 रुपये चुकाया है। यह राशि दूसरों की तुलना में काफी कम थी क्योंकि कंपनी ने 2016 में अपने ऑपरेशन शुरू किए थे।