इकोनॉमी को डबल झटका, रिटेल इन्फ्लेशन में बढ़ोतरी, IIP में गिरावट

इकोनॉमी को डबल झटका, रिटेल इन्फ्लेशन में बढ़ोतरी, IIP में गिरावट

Bhaskar Hindi
Update: 2021-03-12 17:23 GMT
इकोनॉमी को डबल झटका, रिटेल इन्फ्लेशन में बढ़ोतरी, IIP में गिरावट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फूड प्रोडक्ट की बढ़ी कीमतों के कारण फरवरी में खुदरा महंगाई दर पिछले महीने के  4.06% से बढ़कर 5.03% हो गई है। कंज्यूमर फूड प्राइज इंफ्लेशन जनवरी के 1.89% के मुकाबले फरवरी में बढ़कर 3.87% पर पहुंच गया। अर्थव्यवस्था के एक अन्य प्रमुख बैरोमीटर, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन निगेटिव जोन में है। जनवरी में इसमें 1.6 प्रतिशत का कॉन्ट्रेक्शन आया है। इसका मुख्य कारण मैन्युफैक्चरिंग और कैपिटल गुड्स जैसे सेक्टरों का लोअर आउटपुट है। 

इनमें हुई बढ़ोतरी और इनमें आई गिरावट 
सेंट्रल स्टेटस्टिक्स ऑफिस आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर फूड प्राइज इंफ्लेशन जनवरी के 1.89% के मुकाबले फरवरी में बढ़कर 3.87% पर पहुंच गया। सब्जियों की महंगाई दर भी -15.84% से बढ़कर -6.27% हो गई है। दालों की महंगाई दर 13.39% के मुकाबले घटकर 12.54% हो गई। वहीं, महीने दर महीने के आधार पर फ्यूल एंड लाइट इन्फ्लेशन जनवरी के 3.87% के मुकाबले घटकर 3.53% हो गई है। हाउसिंग इंफ्लेशन 3.25 थी जो फरवरी में घटकर 3.23% पर पहुंच गई है। कपड़ों और जूतों की महंगाई दर 3.82% के मुकाबले बढ़कर 4.21% हो गई।

क्या होता है CPI इंडेक्स?
CPI यानि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक। यह रिटेल महंगाई का इंडेक्स है। रिटेल महंगाई वह दर है, जो जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। यह खुदरा कीमतों के आधार पर तय की जाती है। भारत में खुदरा महंगाई दर में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी की करीब 45% है। दुनिया भर में ज्यादातर देशों में खुदरा महंगाई के आधार पर ही मौद्रिक नीतियां बनाई जाती हैं। भारत में खुदरा महंगाई दर में खाद्य और पेय पदार्थ से जुड़ी चीजों और एजुकेशन, कम्युनिकेशन, ट्रांसपोर्टेशन, रीक्रिएशन, अपैरल, हाउसिंग और मेडिकल केयर जैसी सेवाओं की कीमतों में आ रहे बदलावों को शामिल किया जाता है।

महीने-दर-महीने आधार पर आईआईपी का सेक्टर वाइज ब्रेकअप
-माइनिंग सेक्टर में फरवरी में कॉन्ट्रेक्शन 4.8% से घटकर 3.7% हो गया।
-मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 1.6% ग्रोथ के मुकाबले 2% का कॉन्ट्रेक्शन रहा।
-इलेक्ट्रिस्टी सेक्टर में 5.1% ग्रोथ के मुकाबले 5.5% की ग्रोथ रही।
-प्राइमरी गुड्स में 0.3% कॉन्ट्रेक्शन के मुकाबले 0.2% का कॉन्ट्रेक्शन रहा।
-कैपिटल गुड्स में 0.6% ग्रोथ के मुकाबले 9.6% का कॉन्ट्रेक्शन रहा।
-इंटरमीडिएट गुड्स में 0.4% की ग्रोथ के मुकाबले 0.5% ग्रोथ रही।
-इंफ्रास्ट्रक्चर गुड्स में 0.9% ग्रोथ के मुकाबले 0.3% की ग्रोथ रही।
-कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 4.9% ग्रोथ के मुकाबले 0.2% का कॉन्ट्रेक्शन रहा।
-कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स में 2% ग्रोथ के मुकाबले 6.8% का कॉन्ट्रेक्शन रहा।

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