फूड प्राइज के दामों में आई गिरावट से जुलाई में 5.59% पर पहुंची महंगाई दर, औद्योगिक उत्पादन बढ़ा
Retail inflation फूड प्राइज के दामों में आई गिरावट से जुलाई में 5.59% पर पहुंची महंगाई दर, औद्योगिक उत्पादन बढ़ा
- इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 13.6 प्रतिशत बढ़ गया
- जुलाई में खुदरा महंगाई दर कम होकर 5.59 प्रतिशत पर आ गई
- जून महीने में खुदरा महंगाई दर 6.26 फीसदी थी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फूड प्राइज के दामों में आई गिरावट की वजह से जुलाई में भारत की सीपीआई आधारिक खुदरा महंगाई दर कम होकर 5.59 प्रतिशत पर आ गई। जून महीने में खुदरा महंगाई दर 6.26 फीसदी थी। बीते दो महीनों में पहली बार महंगाई दल 6 प्रतिशत से नीचे आई है। इससे पहले जून में रिटेल इंफ्लेशन 6.26 फीसदी दर्ज की गई थी। अर्थव्यवस्था के एक अन्य प्रमुख बैरोमीटर, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन जून 2021 में एक साल पहले इसी महीने के मुकाबले 13.6 प्रतिशत बढ़ गया।
इनमें हुई बढ़ोतरी और इनमें आई गिरावट
सेंट्रल स्टेटस्टिक्स ऑफिस की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर फूड प्राइज इंफ्लेशन जून के 5.15% के मुकाबले जुलाई में घटकर 3.96% पर आ गया है। सब्जियों की महंगाई दर -0.7% से घटकर -7.75% हो गई है। दालों की महंगाई दर 10.1% के मुकाबले घटकर 9.04% हो गई। फ्यूल एंड लाइट इन्फ्लेशन जून के 12.68% के मुकाबले घटकर 12.38% हो गया है। हाउसिंग इंफ्लेशन जून में 3.75 था जो जुलाई में बढ़कर 3.86% पर पहुंच गया है। कपड़ों और जूतों की महंगाई दर 6.21% के मुकाबले बढ़कर 6.46% हो गई।
क्या होता है CPI इंडेक्स?
CPI यानि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक। यह रिटेल महंगाई का इंडेक्स है। रिटेल महंगाई वह दर है, जो जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। यह खुदरा कीमतों के आधार पर तय की जाती है। भारत में खुदरा महंगाई दर में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी की करीब 45% है। दुनिया भर में ज्यादातर देशों में खुदरा महंगाई के आधार पर ही मौद्रिक नीतियां बनाई जाती हैं। भारत में खुदरा महंगाई दर में खाद्य और पेय पदार्थ से जुड़ी चीजों और एजुकेशन, कम्युनिकेशन, ट्रांसपोर्टेशन, रीक्रिएशन, अपैरल, हाउसिंग और मेडिकल केयर जैसी सेवाओं की कीमतों में आ रहे बदलावों को शामिल किया जाता है।
आईआईपी में सालाना आधार पर13.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी
जून के महीने में भारत का फैक्ट्री प्रोडक्शन सालाना आधार पर 13.6 प्रतिशत बढ़ कर 122.6 हो गया। जून 2020 में आईआईपी (-)16.6 फीसदी गिरकर 107.9 फीसदी पर आ गया था। ऐसा मुख्य रूप से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण हुआ था, जो पिछले साल कोरोनावायरस महामारी की पहली लहर को रोकने के लिए लगाया गया था। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जून में सालाना आधार पर 13.0 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 121.0 पर पहुंच गया, जबकि माइनिंग सेक्टर में 23.1 प्रतिशत की बढ़त देखी गई और यह 105.5 पर पहुंच गया। इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर का उत्पादन भी 8.3 प्रतिशत बढ़कर 169.1 हो गया।