RBI ने घटाया GDP अनुमान, रेपो रेट में नहीं किया बदलाव
RBI ने घटाया GDP अनुमान, रेपो रेट में नहीं किया बदलाव
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की समीक्षा बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो दर 5.15 फीसदी पर बरकरार है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने देश की जीडीपी बढ़त के अनुमान को 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर सरकार को झटका दिया है।
बता दें कि इसके पहले कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा दिया था। वहीं दूसरी तिमाही में विकास दर गिरकर 4.5 फीसदी पहुंचने के बाद आज आरबीआई द्वारा एक बार फिर से रेपो दर में बदलाव की संभावना जताई गई थी।
तीन दिसंबर को मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू हुई थी, जिसका आज अंतिम दिन रहा। यह बैठक आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में हुई। इस बैठक में एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने एक राय से रेपो रेट में कटौती नहीं करने का निर्णय लिया। रेपो रेट 5.15 फीसदी पर बरकरार है।
Repo rate remains unchanged at 5.15%, reverse repo rate is at 4.90% and bank rate is 5.40%. pic.twitter.com/MtoiJs0jX6
— ANI (@ANI) December 5, 2019
आपको बता दें कि वर्ष 2019 में हुई पांच बैठकों में अभी तक रेपो रेट 1.35 फीसदी कम किया जा चुका है। इस साल रेपो रेट में कुल 135 आधार अंकों की कटौती हुई है। देखा जाए तो नौ सालों में यह रेपो रेट का सबसे निचला स्तर है। रिवर्स रेपो रेट 4.90 फीसदी है बैंक रेट 5.40 फीसदी पर है।
महीना |
कटौती |
रेपो रेट |
फरवरी 2019 |
0.25 फीसदी |
6.25% |
अप्रैल 2019 |
0.25 फीसदी |
6% |
जून 2019 |
0.25 फीसदी |
5.75% |
अगस्त 2019 |
0.35 फीसदी |
5.40% |
अक्टूबर 2019 |
0.25 फीसदी |
5.15% |
क्या होती है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट ?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को RBI कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को ऋण देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन की तरह कई लोन। जैसा इसके नाम से ही साफ है, यह रेपो रेट से उलट होता है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से RBI में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकमे उसके पास जमा करा दे।