मंदी की चपेट में नहीं आएगा भारत ! Global economy के लिए मुश्किलें बढ़ीं

मंदी की चपेट में नहीं आएगा भारत ! Global economy के लिए मुश्किलें बढ़ीं

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-18 08:40 GMT
मंदी की चपेट में नहीं आएगा भारत ! Global economy के लिए मुश्किलें बढ़ीं
हाईलाइट
  • अमेरिकी रेटिंग एजेंसी जेपी मॉर्गन के इंडिया इक्विटी रिसर्च हेड का कहना
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था के अगले दो साल में रिसेशन में फंसने की आशंका
  • सरकार का ध्यान वित्तीय अनुशासन पर है
  • जिसकी तारीफ होनी चाहिए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में ऑटोमोबाइल कंपनियों सहित उद्योग जगत से जुड़े तमाम लोग मंदी के माहौल को लेकर चिंतित हैं। देश में चारों ओर से मंदी की चिंता जताई जा रही है। वहीं अमेरिकी रेटिंग एजेंसी जेपी मॉर्गन के इंडिया इक्विटी रिसर्च हेड भरत अय्यर का कहना है कि भारतीय इकॉनमी के मंदी में फंसने का डर नहीं है, लेकिन ग्लोबल इकोनॉमी का इससे बच पाना बेहद मुश्किल है।

ग्लोबल इकॉनमी और ट्रेड 
भरत अय्यर के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था के अगले दो साल में रिसेशन में फंसने की आशंका 40 प्रतिशत है।वहीं भारत सरकार की ओर से इंफ्रा पर खर्च बढ़ने का फायदा बैंक और इस सेक्टर की बड़ी सरकारी कंपनियों को मिलेगा। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का भी ग्लोबल इकॉनमी और ट्रेड पर असर हो रहा है। ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत का योगदान बहुत कम है।

सप्लाई चेन में भारत का कम योगदान
एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए इंटरव्यू में भरत अय्यर ने भारत के मंदी में फंसने से इकार करते हुए ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत के कम योगदान को बताया है। उन्होंने कहा कि यहां की इकॉनमी में कंजम्पशन बड़ा फैक्टर है, जिसे डिमोग्राफी और निवेश से सपोर्ट मिल रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, न कि ट्रेड। ऐसे में भारत पर मंदी के आसार दिखाई नहीं देते हैं। 

ब्याज दरों में कटौती
अय्यर कहा कि अगले दो साल में ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी आने की 40 फीसदी आशंका है। इसीलिए दुनियाभर के सेंट्रल बैंक अब ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं और सरकारी खर्च में भी बढ़ोतरी हो रही है। यदि वैश्विक मंदी आती है तो उसका भारत पर जरुर बुरा असर पड़ेगा। क्योंकि इससे भारत के निर्यात में कमी आएगी और आयात बढ़ने से भारतीय कंपनियों को कड़ा मुकाबला करना पड़ेगा।

वित्तीय अनुशासन पर ध्यान
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का ध्यान वित्तीय अनुशासन पर बना हुआ है, जिसकी तारीफ होनी चाहिए। हालांकि पिछली कुछ तिमाहियों में भारत की ग्रोथ में काफी कमी आई है। हमें लगता है कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय इकॉनमी में धीरे-धीरे रिकवरी शुरू होगी। मीडियम टर्म में यह रिकवरी कहीं मजबूत हो सकती है क्योंकि इकॉनमी में कपैसिटी यूटिलाइजेशन बढ़ रहा है। इससे निजी क्षेत्र की तरफ से निवेश बढ़ सकता है।

भरत अय्यर ने कहा ​कि हमें लगता है कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय इकॉनमी में धीरे-धीरे रिकवरी शुरू होगी। मीडियम टर्म में यह रिकवरी कहीं मजबूत हो सकती है क्योंकि इकॉनमी में कपैसिटी यूटिलाइजेशन बढ़ रहा है. इससे निजी क्षेत्र की तरफ से निवेश बढ़ सकता है।

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