मनी लॉन्ड्रिंग मामला : ईडी ने वीवो, अन्य चीनी कंपनियों से जुड़े 40 ठिकानों पर की छापेमारी
नई दिल्ली मनी लॉन्ड्रिंग मामला : ईडी ने वीवो, अन्य चीनी कंपनियों से जुड़े 40 ठिकानों पर की छापेमारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) वीवो और अन्य चीनी फर्मो से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की रोकथाम के संबंध में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और दक्षिणी राज्यों में 40 स्थानों पर छापेमारी कर रहा है। सूत्रों ने कहा कि वीवो के कार्यालय और कुछ अन्य चीनी कंपनियों के परिसरों पर छापेमारी की जा रही है। वीवो ने अभी तक कुछ नहीं कहा है और ईडी के अधिकारी भी रिकॉर्ड में नहीं आए हैं।
सीबीआई भी मामले की जांच कर रही है और अलग से प्राथमिकी दर्ज की है। अप्रैल में, ईडी ने कहा था कि उन्होंने कंपनी द्वारा किए गए अवैध जावक प्रेषण के संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत बैंक खातों में पड़े शाओमी टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के 5,551.27 करोड़ रुपये जब्त किए।
कंपनी ने तब एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था, हमने सरकारी अधिकारियों के आदेश का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है। हम मानते हैं कि हमारे रॉयल्टी भुगतान और बैंक को दिए गए विवरण सभी वैध और सत्य हैं। शाओमी इंडिया द्वारा किए गए ये रॉयल्टी भुगतान इन-लाइसेंस प्राप्त तकनीकों और हमारे इंडियन वर्जन प्रोडक्ट्स में उपयोग किए जाने वाले आईपी के लिए थे। शाओमी इंडिया के लिए इस तरह के रॉयल्टी भुगतान करना एक वैध वाणिज्यिक व्यवस्था है। हालांकि, हम किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
3 मार्च को आयकर विभाग ने कहा था कि उन्होंने दूरसंचार प्रोडक्टस में काम करने वाली चीनी फर्मो के खिलाफ छापे मारे और पता चला कि कंपनियां नकली रसीदों के माध्यम से कर चोरी में शामिल थीं। आई-टी विभाग ने उस समय 400 करोड़ रुपये की आय के दमन का पता लगाया था। पूरे भारत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फरवरी के दूसरे सप्ताह में छापे मारे गए।
छापेमारी से पता चला था कि चीनी फर्मो ने भारत के बाहर अपने संबंधित पक्षों से तकनीकी सेवाओं की प्राप्ति के खिलाफ बढ़े हुए भुगतान किए थे। निर्धारिती कंपनियां ऐसी कथित तकनीकी सेवाओं को प्राप्त करने की वास्तविकता को सही नहीं ठहरा सकतीं, जिनके बदले भुगतान किया गया था और साथ ही इसके लिए प्रतिफल के निर्धारण का आधार भी नहीं था। कंपनी ने कहा था कि वे सभी गलतफहमियों को दूर करने के लिए अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं।
(आईएएनएस)
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