जमशेदजी टाटा: जिन्होंने सबसे पहले रखी भारत में उद्योग जगत की नींव! टाटा परिवार को दी नई शक्ल

जमशेदजी टाटा: जिन्होंने सबसे पहले रखी भारत में उद्योग जगत की नींव! टाटा परिवार को दी नई शक्ल

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-03 09:00 GMT
जमशेदजी टाटा: जिन्होंने सबसे पहले रखी भारत में उद्योग जगत की नींव! टाटा परिवार को दी नई शक्ल
हाईलाइट
  • 14 साल की उम्र में वो अपने पिता के साथ मुंबई आए
  • 1904 में आज ही के दिन जमशेदजी नुसरवानजी टाटा की मौत हुई
  • जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को हुआ था

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नमक से लेकर देश- दुनिया में प्रसिद्ध व्यवसायिक वाहन और शानदार होटलों की चेन बनाने के लिए पहचाने जाने वाले टाटा समूह को आज शायद ही कोई ऐसा हो जा नहीं जानता। इस समूह की नींव रखने वाले जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को एक भारतीय पारसी परिवार में हुआ था। वे मात्र 14 साल की उम्र में अपने पिता के साथ मुंबई आ गए और यहां व्यवसाय में कदम रखा।

उन्होंने व्यवसाय में अपने पिता का साथ देना शुरू किया था। इसके बाद वो लगातार आगे बढ़ते गए। वहीं 1904 में आज ही के दिन भारत के पहले उद्योगपति जमशेदजी नुसरवानजी टाटा की मौत हो गई थी। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें...

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कारोबारी जीवन की शुरुआत
टाटा समूह के संस्‍थापक जमशेदजी नुसरवानजी टाटा ने अपने कारोबारी जीवन की शुरुआत अफीम की खरीद-फरोख्‍त से की थी। हालांकि उस जमाने में चीन से किया जाने वाला अफीम का यह कारोबार कानूनी था। इस दौरान जमशेदजी गुजरात के नवसारी में अपनी पढ़ाई कर रहे थे। नवसारी में अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद जमशेदजी 14 साल की उम्र में बॉम्‍बे पहुंच गए। जमशेदजी ने 17 साल की उम्र में मुंबई के एलफिंसटन कॉलेज में दाखिला लिया और टॉपर के तौर पर डिग्री पूरी की। 

जीवन के लक्ष्य
जमशेदजी टाटा ने 1858 में ग्रेजुएशन करने के बाद अपने पिता की कंपनी में काम संभालना शुरू किया। जमशेदजी ने अपनी कड़ी मेहनत से इस परिवार को अफीम के कारोबार से निकालकर एक बड़े बिजनेस एम्‍पायर में बदल दिया। जमशेदजी टाटा ने जीवन के चार लक्ष्य निर्धारित किए। पहला एक लौह और स्टील कंपनी खोलना, दूसरा एक विश्वस्तरीय इंस्टीट्यूशन स्थापित करना, एक होटल खोलना और एक हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट स्थापित करना।  

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आत्‍मनिर्भर बनने का सपना
हालांकि उनकी जिंदगी में सिर्फ एक ही परियोजना पूरी हो सकी, होटल ताज, जो एक वर्ल्ड क्लास होटल था। बाद में उनके सपने को टाटा की आने वाली पीढ़ियों ने पूरा किया। उनकी इन्हीं सफलताओं ने पहली बार भारत औद्योगिक तौर पर आत्‍मनिर्भर बनने का सपना भी दिया। उद्योगों के साथ-साथ उन्होंने विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा के लिए बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराई। दुनिया को अलविदा कहने से पहले उन्होंने कपड़ा, चाय, तांबा, पीतल का बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया था। आज उनकी ओर से शुरू की गई कंपनियां दिग्गज टाटा समूह के तौर पर पहचानी जाती हैं।

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