भारत को गुणवत्ता के प्रति जागरूक राष्ट्र बनने की जरूरत : पीयूष गोयल
नई दिल्ली भारत को गुणवत्ता के प्रति जागरूक राष्ट्र बनने की जरूरत : पीयूष गोयल
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग प्रयोगशाला प्रमाणन में किया जा सकता है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की नींव तैयार करने की प्रक्रिया के अभिन्न अंग के रूप में गुणवत्ता के प्रति जागरूक राष्ट्र बनने और गुणवत्ता को अपनाने की जरूरत है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की ओर से आत्मनिर्भर भारत की प्रयोगशालाओं में उभरते वैश्विक रुझान विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मंत्री ने कहा कि जब तक भारत गुणवत्ता में अग्रणी नहीं होगा, यह एक विकसित अर्थव्यवस्था नहीं बन पाएगा।
गोयल ने कहा कि भारत को अपने विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार करना होगा और वस्तुओं और सेवाओं के लिए उच्च गुणवत्ता मानकों को भी लागू करना होगा। उन्होंने कहा कि इस पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में बीआईएस एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है। गोयल ने कहा, हम देख रहे हैं कि भारत आधुनिक समकालीन परीक्षण पारिस्थितिकी तंत्र में सबसे आगे कैसे हो सकता है जो भारत के लिए एक विनिर्माण शक्ति बनने के लिए जरूरी है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत परीक्षण और प्रयोगशाला प्रणालियों को दुनिया का एक अभिन्न अंग बनाने के लिए सही रास्ते पर है, जिसे भारत के लिए न केवल एक अरब से अधिक लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, बल्कि एक ऐसी दुनिया की जरूरतों को भी पूरा करने के लिए तैयार किया गया है।
मंत्री ने बीआईएस से इस बात का पूरा अध्ययन करने का आग्रह किया कि दुनिया किन गुणवत्ता मानकों को अपना रही है, ऐसे कौन से क्षेत्र हैं जिन पर भारत को ध्यान देने की जरूरत है और उन मानकों को पूरा करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए क्या किया जा सकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग प्रयोगशाला प्रमाणन में किया जा सकता है। इस पर विस्तार से उन्होंने कहा कि यदि कोई कंपनी लगातार उच्च गुणवत्ता मानकों का पालन कर रही है, तो उन्हें बार-बार निरीक्षण से हटाया जा सकता है या लंबी अवधि के लिए लाइसेंस दिया जा सकता है।
(आईएएनएस)
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