RBI ने 0.25% घटाया रेपो रेट, सभी तरह के लोन होंगे सस्ते
RBI ने 0.25% घटाया रेपो रेट, सभी तरह के लोन होंगे सस्ते
- 6% से घटकर 5.75% हुआ रेपो रेट
- अर्थशास्त्रियों के मुताबिक महंगाई दर RBI के अनुमान से नीचे हैं
- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट है
- भारतीय रिजर्व बैंक ने 0.25% घटाया रेपो रेट
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज (गुरुवार) को मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान बड़ा ऐलान किया है। RBI ने रेपो रेट में 0.25% कटौती की है। यह 6% से घटकर 5.75% हो गया है। रेपो रेट में कमी से सभी तरह के लोन सस्ते होंगे। हालांकि, यह बैंकों पर निर्भर करता है कि वे रेपो रेट में कमी का फायदा ग्राहकों को कब तक और कितना देते हैं। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई कॉमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है। पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि ब्याज दरों में 0.35 फीसदी तक कमी की जा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं है। ये तीसरा मौका जब RBI ने ब्याज दरें घटाई।
ऐसे समझें गणित
लोन की राशि | पुरानी EMI | नई EMI | हर महीने होने वाली बचत |
20 लाख | 17,483 | 17,167 | 316 |
30 लाख | 26,225 | 25,751 | 474 |
50 लाख | 44,505 | 43,708 | 797 |
बता दें कि ब्याज दरें घटाने का मतलब है कि अब बैंक जब भी RBI से फंड (पैसे) लेंगे, उन्हें नई दर पर फंड मिलेगा। सस्ती दर पर बैंकों को मिलने वाले फंड का फायदा बैंक अपने उपभोक्ता को भी देंगे। यह राहत आपके साथ सस्ते कर्ज और कम हुई EMI के तौर पर बांटा जाता है।इसी वजह से जब भी रेपो रेट घटता है तो आपके लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है। साथ ही जो कर्ज फ्लोटिंग हैं उनकी EMI भी घट जाती है।
WATCH: RBI Governor Shaktikanta Das addresses the media in Mumbai https://t.co/qnYv69newC
— ANI (@ANI) 6 June 2019
भारतीय अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई दर RBI के अनुमान से नीचे हैं। देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट है। ऐसे में देश की आर्थिक ग्रोथ को पटरी पर लाने के लिए ब्याज दरें घटाना बेहद जरूरी हो गया था। अमेरिका की रिसर्च फर्म बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि गुरुवार को RBI ब्याज दरों में 0.35 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। केंद्रीय बैंक 0.25 या 0.50 प्रतिशत की कटौती या वृद्धि करते हैं।
क्या होती है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट ?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को RBI कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को ऋण देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन की तरह कई लोन। जैसा इसके नाम से ही साफ है, यह रेपो रेट से उलट होता है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से RBI में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकमे उसके पास जमा करा दे।