अमेरिका और यूरोप को पड़ी भारत के नमक की जरुरत, जानें वजह

अमेरिका और यूरोप को पड़ी भारत के नमक की जरुरत, जानें वजह

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-04 08:23 GMT
अमेरिका और यूरोप को पड़ी भारत के नमक की जरुरत, जानें वजह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूरोप और अमेरिका में भारत के नमक की डिमांड में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में 90 प्रतिशत नमक का आयात भारत से हो रहा है। इसका एक बढ़ा कारण यूरोप और अमेरिका में लंबे समय से चल रही बर्फबारी है। यहां होने वाली भारी बर्फबारी के चलते सड़कों से बर्फ हटाने के लिए नमक की आवश्यकता बढ़ गई है। दरअसल, बर्फबारी के दौरान सड़कों पर भारी मात्रा में बर्फ जमा हो जाती है, ऐसे में बर्फबारी के चलते सड़कें फिसलन भरी हो जाती हैं। इस दौरान यातायात बाधित ना हो और दुर्घटनाएं ना हों, इसके लिए जल्द से जल्द बर्फ को पिघलाना जरूरी होता है। 

बर्फ को हटाने ये जरुरी
बर्फ को हटाने के लिए ज्यादातर सोडियम क्लोराइड या अन्य केमिलकल का उपयोग किया जाता है। इसके लिए नमक का उपयोग किया जाता है। इंडियन साल्ट मैन्युफैक्चरर असोसिएशन (ISMA) के अनुसार यूएस डीआइसिंग के लिए पहले खराब क्वॉलिटी के नमक का इस्तेमाल करता था, लेकिन अब वह अच्छा नमक इस्तेमाल करता है। 

अन्य देशों में भी बढ़ा निर्यात
हालांकि ऐसा नहीं है कि नमक की आवश्यकता सिर्फ अमेरिका में बढ़ी है। दुनियाभर के कई देश बर्फ को हटाने में नमक का उपयोग करते हैं। इनमें चीन भी शामिल है, जहां पहले की अपेक्षा करीब दोगुना नमक निर्यात किया जाता है। ISMA के अनुसार दो साल में चीन को होने वाले नमक के निर्यात में लगभग दोगुने की वृद्धि हो गई है। 

चीन भी करता है बड़ी मात्रा में निर्यात
कच्छ के नमक निर्माताओं का मानना है कि डीआइसिंग में सस्ता केमिकल उपयोग करने के लिए ही गुजरात से दुनियाभर में नमक का निर्यात बढ़ गया है। सामान्य तौर पर सितंबर से इसकी मांग बढ़ जाती है। इस दौरान 7 से 8 लाख टन नमक प्रति महीने निर्यात होता है। गुजरात में बनने वाला नमक चीन के रास्ते यूरोप, अमेरिका और रूस पहुंचता है। इसमें लॉजिस्टिक का खर्च भी कम आता है। चीन भी भारत से बड़ी मात्रा में नमक आयात करता है और यह अपना खराब क्वॉलिटी वाला नमक ध्रुवीय प्रदेशों में डीआइसिंग के लिए निर्यात करता है। 

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