महामारी के चरम पर रहने के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले बायजू और व्हाइटहैट जूनियर के साथ आखिर अब क्या गलत हुआ?
एडटेक महामारी के चरम पर रहने के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले बायजू और व्हाइटहैट जूनियर के साथ आखिर अब क्या गलत हुआ?
- कंपनी की वैश्विक विस्तार योजना उस पैमाने तक नहीं पहुंच पाई
- जिसकी उसने योजना बनाई थी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोविड-19 ने पिछले दो वर्षों में दुनिया भर में कहर बरपाया है। हालांकि यह ऑनलाइन व्यवसायों, विशेष रूप से ऑनलाइन शिक्षा के लिए एक वरदान के तौर पर साबित हुआ, जिससे बायजू और व्हाइटहैट जूनियर जैसे ऑनलाइन एजेकुशन प्लेटफॉर्म को खूब फायदा हुआ और वे इस दौरान तेजी से आगे बढ़े।
महामारी की वजह से जैसे ही स्कूलों और कॉलेजों को बंद करना पड़ा था, चिंतित बच्चे और माता-पिता ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफार्मों की ओर चले गए थे। उन्हें वन-ऑन-वन ट्यूशन और सलाह, विभिन्न टेस्ट की तैयारी, कोडिंग और अन्य विशेष कौशल जैसी सुविधाओं का लालच दिया गया था।
हालांकि, महामारी के कमजोर पड़ने पर वास्तविक दुनिया,की शिक्षा (रियल वर्ल्ड एजुकेशन) के फिर से सक्रिय होने और स्कूल परिसर में कक्षा शुरू होने के साथ ही इन एडटेक प्लेटफॉर्म्स ने ऑनलाइन सीखने की मांग में एक महत्वपूर्ण गिरावट देखी है। यही वजह है कि उन्हें अब अपनी लागत में कटौती करने, कर्मचारियों की छंटनी करने और ऑनलाइन फिजिकल ट्यूशन सेंटर्स में प्रवेश करने जैसे परिवर्तन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
60 लाख से अधिक भुगतान करने वाले उपयोगकर्ताओं (पेइंग यूजर्स) और 85 प्रतिशत नवीनीकरण दर के साथ, एडटेक यूनिकॉर्न बायजू का भारत में शानदार प्रदर्शन रहा है, खासकर जब से कोविड-19 महामारी शुरू हुई है।
2011 में बायजू रवींद्रन द्वारा स्थापित यह प्लेटफॉर्म दुनिया का सबसे अधिक मूल्यवान एडटेक स्टार्ट-अप बन गया और इसे फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के चैन जुकरबर्ग इनिशिएटिव के साथ-साथ टाइगर ग्लोबल और जनरल अटलांटिक जैसी प्रमुख निजी इक्विटी फर्मों द्वारा वित्त पोषित किया गया।
पिछले साल, कंपनी ने अपने पंख दूर-दूर तक फैलाए और इसने लगभग सात से आठ प्रमुख कंपनियों का अधिग्रहण किया। इन कंपनियों में 600 मिलियन डॉलर में सिंगापुर स्थित ग्रेट लनिर्ंग, 500 मिलियन डॉलर में अमेरिका-आधारित किड्स लनिर्ंग प्लेटफॉर्म एपिक, 200 मिलियन डॉलर में सिलिकॉन वैली स्थित टाइनकर, 300 मिलियन डॉलर में कोडिंग ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म व्हाइटहैट जूनियर और ऑनलाइन लनिर्ंग फर्म टॉपर सहित बड़ी कंपनियां शामिल थीं।
इसने उच्च स्तर के शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए टेस्ट की तैयारी करने वाले इंडस्ट्री लीडर आकाश एजुकेशनल सर्विसेज का अधिग्रहण करने के लिए लगभग 1 अरब डॉलर का भुगतान भी किया।
इस साल मार्च में, सीईओ रवींद्रन ने कथित तौर पर कंपनी में अपने हालिया 400 मिलियन डॉलर के निवेश को कई अंतरराष्ट्रीय बैंकों से कर्ज के माध्यम से वित्तपोषित किया, क्योंकि एडटेक दिग्गज ने आईपीओ के लिए योजना बनाई थी।
हालांकि, विश्वसनीय उद्योग सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि कंपनी की वैश्विक विस्तार योजना उस पैमाने तक नहीं पहुंच पाई, जिसकी उसने योजना बनाई थी।
जुलाई 2020 में खरीदा गया इसका सबसे उल्लेखनीय स्टार्टअप व्हाइटहैट जूनियर, कंपनी के लिए फिलहाल बेहतर करने में विफल हो रहा है, क्योंकि इसे वित्तीय वर्ष 2021 में बड़े पैमाने पर 1,690 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है। वित्त वर्ष 2021 में इसका खर्च 2,175 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2020 में यह मात्रा 69.7 करोड़ रुपये दर्ज किया गया था।
इस प्लेटफॉर्म से जुड़े हालिया घटनाक्रम पर नजर डालें तो इसके 5,000 से अधिक कर्मचारियों में से 1,000 से अधिक कर्मचारियों ने (जिसमें शिक्षक शामिल हैं, जो अनुबंध के आधार पर हैं और पूर्णकालिक कर्मचारी नहीं हैं) कार्यालय लौटने के लिए कहे जाने के बाद इस्तीफा दे दिया है।
इसने अपने स्कूल डिवीजन को भी बंद कर दिया है, जिसने पिछले साल अपने प्रमुख कोडिंग पाठ्यक्रम को अगले शैक्षणिक वर्ष तक 10 लाख स्कूली छात्रों तक ले जाने का लक्ष्य रखा था।
सूत्रों ने कहा कि व्हाइटहैट जूनियर के ऑनलाइन म्यूजिक सिखाने, गिटार और पियानो बजाना सिखाने की पेशकश का भी आज तक कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला है।
शिक्षाविद् मीता सेनगुप्ता ने आईएएनएस से कहा, कोविड, निश्चित रूप से एक बड़े उत्प्रेरक के रूप में आया था। एडटेक कंपनियों को शिक्षा के लिए डिजिटल पहुंच के माध्यम से लहर की सवारी करते हुए (मौके को भुनाते हुए) देखना अच्छा है। लेकिन वास्तव में उच्च-विकास के चरण के बाद, प्रत्येक सवारी में ऐसा होता है कि शीर्ष पंक्ति पर बहुत ध्यान दिया जाता है।
सेनगुप्ता का मानना है कि कुंजी विकास की उस गति को प्रबंधित करना है, जो लगभग असंभव है। इसके अलावा, उन्होंने इन प्लेटफॉर्म्स को टेस्ट की तैयारी कराने वाले करार दिया है, जिसका अर्थ है कि उनका ध्यान परीक्षा की तैयारी पर था न कि शिक्षा प्रदान करने पर।
पिछले साल बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि बच्चों के माता-पिता या अभिभावकों ने यह शिकायत की थी कि सेल्समैन द्वारा उन्हें लगातार ऐसी कॉल प्राप्त हो रही हैं, जिनमें उन्हें ऐसे प्रेरित करने की कोशिश की जा रही है कि अगर वे बायजू का प्रोडक्ट (एजुकेशन स्कीम) नहीं खरीदते हैं तो उनका बच्चा कहीं न कहीं पीछे छूट जाएगा।
असंतुष्ट माता-पिता ने आरोप लगाया कि उन्हें बिक्री एजेंटों द्वारा गुमराह किया गया था और उन्होंने एजुकेशन स्कीम लेकर अपने आपको ठगा हुआ महसूस किया।
इतना ही नहीं, बायजू के पूर्व कर्मचारियों ने भी ने कंपनी के प्रबंधकों पर कई आरोप लगाए और बताया कि उन पर कंपनी की सेल्स को लेकर भारी दबाव बनाया जाता है और बायजू की स्कीम्स बेचने को लेकर एक लक्ष्य (टारगेट) निर्धारित कर दिया जाता है। हर समय कंपनी के टारगेट को दिमाग में रखने पर कर्मचारियों ने यह शिकायत भी की कि इसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हालांकि बायजू ने दोनों आरोपों का खंडन किया है।
सेनगुप्ता के अनुसार, मार्केट में बने रहने के लिए, इन प्लेटफॉर्म्स को अपने आपको प्रीप-टेक (टेस्ट की तैयारी) से केयर-टेक में बदलना होगा।
उन्होंने कहा, भविष्य में व्यक्ति की देखभाल और देखभाल करने वाली प्रौद्योगिकी के निर्माण को लेकर सशक्त होना होगा।
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