हिंडनबर्ग के आरोप निकले झूठे, अडानी पर लगे आरोपों का नहीं मिला सबूत
मॉरीशस सरकार ने किसी भी शेल कंपनी के देश में होने से साफ तौर पर इंकार किया है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस साल जनवरी में गौतम अडानी दुनियाभर के रइसों की सूची में दूसरे नंबर पर चल रहे थे। लेकिन तभी हिंडनबर्ग नाम के तूफान ने उनके अडानी ग्रुप को झकझोर कर रख दिया। 24 जनवरी 2023 को शार्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट निकालते हुए दावा किया कि ग्रुप ने भारतीय शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के शेयरों की कीमतों में हेराफेरी करने के लिए मॉरीशस में शेल कंपनियां खोली हैं। हालांकि, मॉरीशस सरकार ने ऐसे किसी भी शेल कंपनी के देश में होने से साफ तौर पर इंकार किया है। जिससे अब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और उसमें किए दावे झूठे साबित होते दिख रहे हैं।
जांच में सामने आया सच
सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति के अनुसार अडानी ग्रुप के शेयरों में आई तेजी में किसी भी तरह की कोई धांधलेबाजी नहीं की है। इसके अलावा समिति ने यह कहा कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) को भी अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि ग्रुप ने विदेशी संस्थाओं से होने वाले कैश फ्लो का किसी भी प्रकार से उल्लंघन किया है। सेबी ने 13 ओवरसीज कंपनियों की ओनरशिप केस में भी कोई सफलता हासिल नहीं की है। समिति ने कहा कि अडानी समूह के लिए सिस्टम की तरफ से 849 सस्पीशियस अलर्ट्स जारी किए गए। इन अर्लट्स को लेकर 4 रिपोर्टस भी फाइल की गईं हैं। जिनमें से दो रिपोर्ट हिंडनबर्ग मामले के पहले थी और दो उसके बाद।
अडानी समूह ने क्या कहा?
इन सभी मुश्किलों के बीच अडानी ग्रुप ने कई बार अपनी ओर से सफाई भी दी और निवेशकों का भरोसा जीतने का प्रयास भी किया। लेकिन इसके बाद भी अडानी ग्रुप अपनी कंपनियों के शेयर प्राइस को गिरने से बचा नहीं पाया। हालात इतने बिगड़ गए कि एक समय दुनिया के रइसो में दूसरे नंबर पर पहुंचने वाले ग्रुप को इस रिपोर्ट के बाद टॉप 20 में भी बने रहना मुश्किल हो गया। इन सब के बीच निवेशकों के नुकसान की भरपाई करने के लिए भी अडानी समूह की ओर से भारी मात्रा में शेयर्स बेचे गए तथा कई लोन्स का प्रीपेमेंट में करना पड़। बीते चार महीनों के कठिन समय से अब यह समूह उभरता हुआ दिखाई दे रहा है।