39 साल साल बाद भोपाल में आकर पुरानी यादों में खोए सलमान, कहा- यहां आकर मुझे लगा कि घर के मैदान में बैठा हूं
39 साल साल बाद भोपाल में आकर पुरानी यादों में खोए सलमान, कहा- यहां आकर मुझे लगा कि घर के मैदान में बैठा हूं
डिजिटल डेस्क, भोपाल। बचपन की यादें हर किसी को रोमांचित कर देती है, फिर वह कोई आम व्यक्ति हो या फिल्म स्टार। दिग्गज अभिनेता सलमान खान भी भोपाल आकर मध्यप्रदेश से जुड़े अपनी यादों में खोए बिना नहीं रह सके। बचपन में उन्हें इस राज्य ने क्या दिया, इसे वे आज भी नहीं भूले हैं। राजधानी के मिंटो हॉल में आईफा अवार्ड की तारीखे के ऐलान के लिए आयोजित समारोह में सलमान खान की मध्य प्रदेश से जुड़ी यादें को ताजा हो गई। इंदौर में जन्मे सलमान ने अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा कि यहां आकर मुझे लगता है कि मैं अपने घर के मैदान में बैठा हूं। बचपन में पिता के साथ जीप में बैठकर मुंबई से इंदौर आता था और कुछ माह यहां रहने के बाद वापस लौट जाता था। हमारी पैतृक संपत्ति इंदौर में है।
39 साल पहले भोपाल आए थे सलमान
सलमान ने मजाकिया अंदाज में कहा, मैं और अन्य भाई कंसीव तो मुंबई में हुए मगर डिलेवरी इंदौर में हुई। इससे पिताजी को भी पत्नी से तीन-चार माह दूर रहने का मौका मिल जाया करता था। वहीं जब हम बड़े हुए तो इंदौर आते थे, पलासिया और बरतरी के खेत में रहना पसंद करते थे। सर्दी और गर्मी की छुट्टियां इंदौर में ही कटती थीं। राज्य से अपने रिश्तों का जिक्र करते हुए सलमान खान ने कहा कि वे लगभग 39 साल पहले भोपाल आए थे और यहां के खंडेरा क्षेत्र में दो माह रहे थे। उन्होंने कहा, खंडेरा की फैमिली बड़ी थी, उसमें से कई लोग अब नहीं है, ईश्वर से उनके लिए कामना और जो है वे स्वस्थ्य रहें।
मध्यप्रदेश में गुजरा बचपन
उन्होंने उम्मीद जताई कि, इस आईफा अवार्ड के आयोजन के बाद से यहां फिल्मों की शूटिंग भी शुरू हो जाएगी, सरकार छूट भी देगी। उन्होंने कहा, हमारा तो मध्यप्रदेश से खास लगाव है, क्योंकि पढ़ाई-लिखाई भी यहीं हुई है। बचपन यहीं गुजरा है, जो भी सीखा है यहीं से सीखा है। पर्दे पर सलमान खान को जितना भी देख रहे हो, मैं जो भी हूं, अच्छा ही हूं, बुरा तो नहीं कह सकता, यही की तालीम की वजह से हूं जो कुछ हूं।
परिवार में काम करने वाले तेसू की चप्पल खोने का किस्सा सुनाया
परिवार में काम करने वाले तेसू की चप्पल खोने और उसे ढूंढने के किस्से को भी सलमान खान ने सुनाया। उन्होंने कहा, खेत में एक दिन तेसू की चप्पल खो गई। अरबाज और वह दोनों वहां खेल रहे थे, जब तेसू की चप्पल नहीं मिली तो दोनों ने मिलकर गेहूं के ढेर को एक स्थान से दूसरे और फिर वहां से अन्य स्थान पर रखा। तेसू की एक चप्पल तो मिल गई, मगर दूसरी नहीं मिली। अब तक तेसू की दूसरी चप्पल न मिलना राज है, उसे अब भी खोज रहे हैं।