B'day: शब्दों के जादूगर हैं जावेद अख्तर, इस वजह से पिता ने रखा 'जादू' नाम
B'day: शब्दों के जादूगर हैं जावेद अख्तर, इस वजह से पिता ने रखा 'जादू' नाम
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। बॉलीवुड के मशहूर लेखक, गीतकार, कवि और पूर्व राज्यसभा सांसद जावेद अख्तर आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 में हुआ था। जावेद के पिता जान निसार हिन्दी सिनेमा के चर्चित गीतकार थे और मां सैफिया अख्तर एक सिंगर और राइटर भी थीं। जावेद खुद काफी अच्छे लेखक हैं। इन्होंने हिन्दी सिनेमा को "शोले", "जंजीर" और "अंदाज" जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं, उन्हें 14 बार फिल्म फेयर से सम्मानित किया जा चुका है।
1970 में जावेद का दिल कैफी आजमी की बेटी और फेमस एक्ट्रेस शबाना आजमी पर आ गया। उनके अफेयर की खबर जब हनी को हुई तो घर में रोज झगड़े होने लगे। 1974 में जावेद एक फिर पिता बने। हनी ने फरहान अख्तर को जन्म दिया। इसके बाद लड़ाई झगड़े होने पर हनी ने जावेद को कहा कि वे शाबाना के पास जा सकते हैं और बच्चों की फिक्र ना करे। इसके बाद जावेद ने हनी से तलाक ले लिया। 6 साल के अफेयर के बाद जावेद ने 1984 में शाबाना से निकाह कर लिया।
जावेद को फिल्मों में क्लैपर ब्वॉय का काम मिल गया। फिल्म 'सरहदी लुटेरा' की शूटिंग के दौरान उनकी मुलाकात सलीम खान से हुई। उनसे मुलाकात के बाद जावेद कैफी आजमी के असिस्टेंट बन गए और सलीम लेखक/निर्देशक अबरार अलवी के सहायक बन गए। अक्सर दोनों की मुलाकात होती रहती थी। इन्हीं के सपोर्ट से सलीम-जावेद की जोड़ी बनी और फिल्म 'हाथी मेरे साथी' की दमदार स्क्रिप्ट लिखी। फिल्म 'सीता और गीता' के दौरान जावेद की मुलाकात हनी ईरानी से हुई। इस फिल्म में हनी सपोर्टिंग रोल प्ले कर रही थीं। दोनों एक-दूसरे की तरफ आकर्षित हो रहे थे। एक इंटरव्यू में हनी ने बताया था कि एक बार ताश खेलते हुए जावेद हार रहे थे। तो उन्होंने जावेद से कहा कि लाओ मैं तुम्हारे लिए कार्ड निकालती हूं।
तब जावेद ने उनसे कहा कि अगर ये पत्ता अच्छा निकला तो मैं तुमसे शादी कर लूंगा। खुशकिस्मती से पत्ता अच्छा था। तब जावेद बोले, 'चलो-चलो' अभी शादी कर लेते हैं। उस समय जावेद के पास कोई अपना घर नहीं था। वहीं हनी अभी 17 साल की ही थीं। जावेद उनसे 10 साल बड़े थे। तब जावेद ने सलीम खान से मदद मांगी और हनी की मां से बात करने के लिए कहा। जब जावेद हनी की मां से बात करने के मिए गए तो कहा कि कर लो शादी, जब ठोकर लगेगी तो हनी खुद घर वापस आ जाएगी। दोनों की ही जिंदगी काफी मुश्किलों भरी रही। जल्द ही हनी को एक बेटी हुई जिसका नाम जोया है। इसके बाद जावेद को काम मिलने लगा और वो एक अच्छे घर में रहने लगे।
कुछ समय पहले एक इंटरव्यू में जावेद ने बताया था कि स्कूल के समय लोग उनसे लव लेटर लिखवाने आया करते थे। वो उन लोगों के भी लव लेटर लिखते थे जिन्हें वो जानते तक नहीं थे। लव लेटर लिखने में उनकी बड़ी डिमांड थी। 1964 में जब जावेद अख्तर मुंबई आए तो उनके पास ना रहने को घर था ना खाना। जब तक उन्हें काम नहीं मिला तब तक उन्होंने पेड़ के नीचे सोकर रातें गुजारी थीं। हिंदी फिल्म जगत में उन्हें काम पाने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा।
जावेद एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जहां हर कोई शब्दों से खेलता था। ऐसे में उनका लेखक बनना तो लाजमी था। जावेद अख्तर का असली नाम जादू है। ये नाम उनके पिता ने जावेद की एक कविता पढ़ कर रखा था। कविता की लाइनें थीं, 'लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा'। कुछ समय बाद उनका नाम जावेद पड़ गया जो जादू से काफी हद तक मिलता था। माना जाता है, जावेद की लेखनी बचपन से ही दमदार थी।