तेज प्रताप यादव से तलाक के बाद ऐश्वर्या राय को एक और बड़ा झटका, याचिका पर सुनवाई के बाद तेजप्रताप को अदालत से मिली ये राहत, जाने कानून कैसे बना मददगार

तेज प्रताप यादव से तलाक के बाद ऐश्वर्या राय को एक और बड़ा झटका, याचिका पर सुनवाई के बाद तेजप्रताप को अदालत से मिली ये राहत, जाने कानून कैसे बना मददगार
जानिए क्या कहता हैं नियम?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री तेज प्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। पूरा मामला तेजप्रताप और ऐश्वर्या के बीच रिश्ते में आई आपसी खटास से जुड़ा हुआ है। इसी के चलते दोनों पिछले दो तीन सालों से एक दूसरे से अलग रह रहे हैं।

गौरतलब है कि, ऐश्वर्या राय ने भरण पोषण (मेंटेनेन्स) से जुड़े मामले में राशि बढ़ाने को लेकर पटना हाईकोर्ट में का रूख किया था। लेकिन उनकी यह याचिका उन्हीं पर भारी पड़ गई है। 10 मई को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए राजद सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेज प्रताप को भरण पोषण मामले राहत दी गई। साथ ही मामले की सुनवाई कर रहे है न्यायाधीश पी.बी बजनथ्री और न्यायाधीश अरुण कुमार झा की पीठ ने तेज प्रताप की पत्नी को भरण पोषण के तौर ली गई राशि को वापस करने का आदेश दिया है।

कोर्ट से ऐश्वर्या को लगा झटका

पहले कोर्ट ने ऐश्वर्या राय को भरण-पोषण मामले में दायर की गई याचिका पर ज्यादा पैसे देने से इनकार किया। सुनवाई के दौरान जजों ने कहा कि ऐश्वर्या को भरण पोषण के मामले में जो राशि दी जा रही थी वह बहुत ज्यादा है इसलिए उन्हें अपने पति को वह राशि वापस देना होगा।

10 मई को पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत को तीन महीने के अंदर सुनवाई करने का भी निर्देश दिया है। बता दें कि, मंत्री तेजप्रताप यादव ने अपनी पत्नी से तलाक के लिए मुकदमा दायर किया था। जिसके बाद उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय ने भी लालू परिवार पर घरेलू हिंसा का मुकदमा दायर किया। साल 2019 में पटना फैमिली कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा था कि तेजप्रताप यादव को अपनी पत्नी को हर महीने गुजारा भत्ता के रूप में 22 हजार रुपये देना होगा। उस वक्त कोर्ट ने तेज प्रताप यादव को अपनी पत्नी के लिए 2 लाख रुपए अतिरिक्त राशि भी देने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा अदालत ने उन्हें अपनी पत्नी को केस लड़ने के लिए खर्चा देने को भी कहा था।

जानें पूरा मामला

साल 2018 में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दोरोगा राय की पोती और राजद के वरिष्ठ नेता रह चुके चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय से हुई थीं। हालांकि शादी के कुछ दिन बाद ही रिश्ते में खटास के चलते दोनों की राहें अलग हो गई। और एक दिन ऐश्वर्या को राबड़ी आवास से रोते हुए बाहर निकल गयी थी।

जिसके बाद राजद नेता तेज प्रताप यादव ने अदालत में अपनी पत्नी ऐश्वर्या के खिलाफ तलाक की अर्जी दाखिल की। जवाब में उनकी पत्नी ऐश्वर्या ने भी घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करवा दिया। फिर पूरा मामला पटना के फैमिली कोर्ट में पहुंचा। मामले को बढ़ता देख फैमिली कोर्ट ने सुनवाई शुरू की थी। इस दौरान अदालत ने ऐश्वर्या राय के लिए भरण पोषण भत्ता देने का आदेश तो दिया, लेकिन उन्हें घरेलू हिंसा को लेकर राहत नहीं मिली। फिर तेज प्रताप की पत्नी ने अदालत के फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट का रूख किया। जिस पर बीते बुधवार को सुनवाई हुई। और सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर 2019 के फैसले को पलट दिया। साथ ही हाईकोर्ट ने तेज प्रताप पर लगे घरेलू हिंसा के आरोप पर भी निचली अदालत को एक बार फिर विचार कर सुनवाई करने को कहा है।

समझें क्या कहता हैं कानून?

किसी भी पति या पत्नी का तलाक होता है तो उसके बाद पति या पत्नी को गुजारा भत्ता यानी मेंटनेंस लेने का अधिकार होता है। हालांकि इसे पूर्ण अधिकार में नहीं रखा गया है। अदालत पति-पत्नी की वित्तीय स्थिति और परिस्थिति को देखकर ही भत्ता देने का फैसला करती है।

इसके लिए दोनों के परिवारों को कोर्ट में अपने इनकम, खर्च के अलावा जीवन यापन के स्टैंडर्ड के बारे में सारी जानकारी देनी होती है। जिससे अदालत को रकम तय करने में सहूलियत होती है। बता दें कि, गुजरा भत्ता में बच्चों का पालन-पोषण से लेकर शादी में होने वाले खर्च को शामिल किया जाता है। इसमें पति पत्नी के इनकम के हिसाब से रकम तय की जाती है।

भरण-पोषण के लिए अलग-अलग नियम कानून हैं, जिसके तहत पति-पत्नी गुजरा भत्ता का दावा कर सकते हैं। इनमें सीआरपीसी की धारा-125, हिंदू मैरिज एक्ट, हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट व घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता करने का प्रावधान होता है। गुजारा भत्ता कानून केवल भारत में ही नहीं बनाया गया है, बल्कि दुनिया भर के अलग-अलग देशों में यह कानून बनाया गया है। देश में शादी को एक पवित्र बंधन के तौर पर देखा जाता है। इसलिए पति अपनी पत्नी के भरण-पोषण के लिए बाध्य हो जाता है। गुजारा भत्ता भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं।

1. सेपरेशन गुजारा भत्ता- यह भत्ता पति या पत्नी को वैसी स्थिति में मिलता है। जब दोनों की तलाक नहीं हुई हो । दोनों एक दूसरे से अलग-अलग रह रहे हो। इसमें एक शर्त है कि पति-पत्नी में से कोई एक पक्ष यदि खुद का भरण-पोषण करने असमर्थ है तभी उन्हें यह गुजारा भत्ता मिल सकता है।

2. स्थायी गुजारा भत्ता- इस भत्ते के तहत समाप्ति तिथि निर्धारित नहीं की जाती है। यह भत्ता तब तक दिया जाता है जब तक पति या पत्नी खुद पर आत्मनिर्भर नहीं हो जाती। यानी इसमें पति या पत्नी दोनों को खुद पर आत्मनिर्भर होना जरूरी है। इसके अलावा यह भत्ता तब तक दिया जाता है जब तक पति या पत्नी अपने बच्चों का पालन-पोषण करने का कोई दूसरा तरीका न निकाल लेते हो।

भरण पोषण से मामले में सुनावई करते वक्त अदालत इन बातों का रखती है ध्यान

  • विवाह की और अलग रहने का समय
  • पति और पत्नी की संपत्ति
  • पति-पत्नी की उम्र
  • बच्चों की शिक्षा और उसके पालन-पोषण में लगने वाला खर्च
  • पति-पत्नी का स्वास्थ्य, जीवनशैली और सामाजिक स्थिति
  • पति या पत्नी की आय
  • ईएमआई
  • पति या पत्नी के माता पिता के खर्च में कितने पैसे जा रहे हैं।

Created On :   11 May 2023 6:48 PM IST

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